पिता वो वृक्ष है जिसकी छत्रछाया
में उसकी संतति का बड़ी बेफिक्री से अभ्युदय होता है...-
Ragghuraj Singh Ranawat
(Raghuraj Singh Ranawat)
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जय सियाराम 😊🙏
Rajasthan
Nothing about me but I m special...
" दिलों तक पहुंच पाऊं बस इतनी ... read more
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Joined 19 March 2018
15 JUN AT 8:34
14 JUN AT 23:16
मैं
खुश
बहुत
रहता था
नादान हुआ
करता था यही
कारण है जिंदगी
खुशनुमा रहती थी...-
14 JUN AT 23:03
बहुत हसरत है मुझे उनके दीदार की
काश इस शहर की रात में यह ख्वाब नसीब हो जाए...-
10 JUN AT 21:59
कौन कहता है विशुद्ध प्रेम अब नहीं होता
विशुद्ध प्रेम हमेशा रहता है फर्क बस इतना
है कि इसे करने और निभाने वाले कम होते हैं...-
7 JUN AT 23:09
कुछ दिली तमन्नाऐं वक्त पर पूरी हो जाएं तो बेहतर हैं
वरना ताउम्र उनकी कसक बरकरार रह जाती है...-
3 JUN AT 9:57
अगर आप दूसरों को खुश करने के लिए जी रहे हैं
तो ये तय है कि आप अपनी खुशियों का दमन कर रहें हैं...-
2 JUN AT 8:06
प्रेम की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसे कोई बेच या खरीद नहीं सकता...
हां, इश्क ,मोहब्बत बेशक बाजारों में बिकते होंगे...-
1 JUN AT 14:16
प्रेम जीवन का आधार है
निर्भरता नहीं
इसलिए आधार को सशक्त बनाकर
निर्भरता निर्भर रहने वाली चीजों पर की जाए
जिससे बेहतर जीवन का निर्वाह हो सके...-