हर पल मर रहे हैं ,
एक पल की जिंदगी के लिए ।
कौन खुश है यहां ,
कोई नहीं।
फिर भी जिंदा रहने को मर रहे हैं।
मर के जिसको चाहा हमने ,
वह शख्स नहीं जान है हमारी ।
वह भी ना मिल अगर,
तो क्या जान है हमने।
कोई नहीं पैदाइशी शायर यहां,
गवाह है गालिब भी मोहब्बत बना देती है।
हम भी इसी जानिब निकल पड़े हैं ,
अभी से शेर नहीं गजल लिखने लगे हैं।
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Hope
My age is just a teeny
Its true, but
My hell-bent is higher than the limit .
My maturity for this world is just teeny
Its true, but
My curiosity to know is higher than the limit .
My resources is just a teeny
Its true,but
My enthusiasm for work is higher than the limit.
My name is just a teeny
Its true, but
My contribution for this world will higher than the limit.
(Its all about hope,consistency and craziness)...
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I pretend, i am very complicated
Deep down, i know
I want to be a simple Guy.
I pretend, i am adult now.
Deep down, i know
I am killing my childness lives inside me.
I pretend, i am fit for this, this and this.
Deep down, i know
I act, I don't want to be fit in this.
I pretend, loves to win all the situation.
Deep down, i know
How much i love
when my love-one defeat me
I pretend, i have achieved
A lot of things
Deep down, i know
I loosed a lot of things.
I pretend, i want money,fame,power.
Deep down, i know
I want to serve myself for humankind
And devote myself to the almighty
I pretend, when I will die so many people will remember me
Deep down, i know
I have very few ones Who loves me truly-
नेता अभिनेता खिलाड़ी भी हूँ,
बच्चा बूढ़ा बेरोज़गार ,
चाय पर चर्चा वाले चाचा भी हूँ।
जो नहीं हूँ , हिम्मत वाला जितना तुम्हारे।
दुबक के बैठे हैं घरों में,
नेता अभिनेता खिलाड़ी और सब,
आपकी तरह फ्रंट लाइन वर्कर थोड़ी हूँ,
निकले जो जान हथेली पर रखे,
बचाने ज़िंदगियाँ हमारी और तुम्हारी।
भाषण नसीहत खेल नाच करवा लो हमसे,
आपकी तरह बचा लूँ ज़िन्दगी,
भगवान का रूप थोड़ी हूँ मैं।-
( हमारे अपने )
गुमसुम उदास बैठा हूं ,
बेशक किसी अपने के इंतजार में बैठा हूं।
अकेला ना था मैं, अकेला हो गया हूं।
वह जो अपने थे हमारे ,
जा चुके हैं छोड़कर हमें।
खुदा उन्हें जन्नत दे।
रुक गया एक पल में ,
हंसती खेलती जिंदगी कितनों की।
उखड़ गई सांसे कितनों की ,
Bed, oxygen के इंतजार में ।
समझ ना आया मृत्यु थी या हत्या।
पता नहीं कौन था जिम्मेदार इसका,
सरकार सिस्टम हम आप या खुदा,
खैर खोया जिसने अपनों को,
खूब पता है उन्हें जिम्मेदार का ।
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दौड़ता रहा लेकर पिंजरा ,
पीछे उड़ते फिरते परिंदों के,
भाग गए देखकर पिंजरा,
आए थे जो मुश्किल से हाथ हमारे।
उड़ता फिरता आया एक परिंदा,
देख पिंजरा बिल्कुल ना घबराया,
बैठ गया कांदे हमारे ,
भेजा हो जैसे खुदा ने सिर्फ खातिर हमारे।
उन परिंदों के पीछे
जो बैठे थे कांधे किसी और के
गिरा दिए परिंदे कई हमने
बैठे थे जो कांधे हमारे
कदर हर परिंदे की जरूरी नहीं,
रईस
जो बैठा रहा कांदे हमारे देखके पिंजरा,
लाजिम है बने वही सर का ताज हमारा।
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ना किसी की याद है ,
ना किसी की फिक्र है ।
ना किसी का जिक्र है,
फिर यह दिल इतना बेचैन क्यों है।
नींदों से इस का राब्ता उड़ा क्यों है?
Hal-e-dil समझने का वादा करने वाले सो रहे है,
सुबह होते ही पूछेंगे पूरी रात आप क्या कर रहे थे।
बताओ कि तुम्हारा हाल क्या है?
कौन ख्वाबों में बेचैन है ,
कौन बेचैन हो के ख्वाबों में है।
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Migrant worker
दबी आवाज में वह कह रहे थे ,
परिवार तुम्हारा,हमारा भी है,
इंतजार घर में हमारा भी है ।
बजा के ताली और थाली ,
खूब साथ दिया तुमने हमारा।
हम घर को चले जा रहे थे ,
तुम हमारी आहा में लिखे जा रहे थे।
आज भी तुम आस में हो कि,
मिल जाए पसंद लायक खाना तुम्हें तुम्हारा,
आस में हम भी हैं के,
मिल जाए कोई पानी रोटी देने वाला।
कसूर ना तुम्हारा है, ना हमारा है।
बरसों पहले भूख ने घर से दूर किया,
बरसों बाद भूख घर को ले जा रहा है।
ईद तुम्हारी,हमारी भी है
ईदी का इंतजार तुम्हें,हमें भी है।
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