Radhika .S. Purohit   (Radhika Purohit)
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आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया 😘😘😘😘
Joined 20 April 2020


आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया 😘😘😘😘
Joined 20 April 2020
26 JAN AT 0:22

Ye Ishq hai Tera ya vaham hai mera,
Ye akas hai Tera ya Nasha Tera
Kyu Bahak si gayi mai laga
Surur hai Tera.

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1 JAN 2021 AT 20:46

शौक नहीं है मुझे अपने जज्बातों को यू सरेआम लिखने का,
पर क्या करूं जरिया भी तो यही है मेरे पास तुमसे बात करने का ।

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26 DEC 2020 AT 11:54

क्या मेरी तरह तुम भी मुझे याद करते हो,
क्या मेरी तरह तुम भी मुझसे मिलने की फरियाद करते हो,
क्या मेरी तरह तुम भी बेवजह चुप से हो जाते हो,
क्या मेरी तरह तुम भी हर दुआ में मुझे मांगते हो ,
क्या मेरी तरह तुम भी सिर्फ मुझसे ही प्यार करते हो।

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26 AUG 2020 AT 21:06

बन संवर कर रहती हूं मैं ,
मेरा सजना संवरना पसंद है उसे,
माथे की बिंदी ,कानों की बाली,
होठों की लाली, मुस्कान सुहानी,
हां पसंद हूं उसे मैं,
कह दूं कभी की उदास हूं मैं,
तो हो जाता है परेशान सा वो ,
कभी शर्माती तो कभी इठलाती ,
हां उसे पसंद हूं मैं ।

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26 JUL 2020 AT 21:36

तुम कहां चले गए,
ढूंढती रहती हैं ये आंखें तुमको ,
हर पहर हर तरफ ,
कहां हो तुम,
जानती हूं रहते हो साथ-साथ मेरे,
लेकिन फिर क्यों ये कमी खलती रहती है हमेशा ,
कहनी होती हैं बहुत सी बातें
किससे कहूं और कैसे कहूं,
कहां हो तुम ?
काश कि तुम वापस आ जाते
फिर से ये जमी यह आसमा सब महक जाते ।।

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23 JUL 2020 AT 17:13

अनजान से जान तक का सफर ही तो मोहब्बत है।

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12 JUL 2020 AT 9:32

तुम्हें लिख पाऊं,
इतने खूबसूरत तो लफ्ज़ ही नहीं है मेरे पास।

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21 JUN 2020 AT 13:14

कभी-कभी तो आपकी कमी बहुत खलती है,
कभी-कभी ये यादे बहुत तड़पाती है,

कुछ हसीन यादें दिल में कैद किए
यादे ताजा करती रहती हूं,

ये वक्त बस ऐसे ही गुजार लेती हूं,
हर लम्हा बस आपको ही याद करती रहती हूं

थका हुआ जब भी महसूस करती हूं,
बस आईने में खुद को निहार लेती हूं ,

हूं आपका ही अक्स मैं
कहकर खुद को संभाल लेती हूं,

हारा हुआ जब महसूस करती हूं ,
तब आपके लिखी कविताओं से खुद को हौसला देती हूं,

याद जब भी आपकी ज्यादा सताती है,
तो आपका नाम लिखकर मुस्कुरा लेती हूं

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31 MAY 2020 AT 11:31

आंखें पढ़ना सीखो,
हर बात लफ्जों में बयां ये मुमकिन नहीं ।

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24 APR 2020 AT 16:55

सोचती हूं कि हमारे रिश्ते का क्या नाम ‌है
ज़रूरत, ख्वाहिश, इश्क या जूनुन
या फिर वो
जो ज़मीं का आसमां से है
चांद का चकोरी से है
दिन का रात से है
हकीकत का ख्वाबो से है
ये कभी मिल नहीं सकते
लेकिन एक दूसरे के बिना अधूरे हैं
शायद ऐसा ही है
मेरा तुम्हारा रिश्ता

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