पता हे सबके सोचने समझने का तरीक़ा काफ़ी अलग होता हे
ओर हम अपने तरीक़े को , अपनी सोच को ही बेहतर मानते हे
जिस वह्ज़ से हमें सामने वाला ग़लत लगने लगता हे
मेरी नज़रिये से देखें को सब बेहतर ही होते हे, अगर सबकी सोच एक जेसी होती तो दुनिया में आज केवल दाल चावल
ही बिकता , सबकी सोच अलग हे इसलिए सबके मायने भी अलग होते हे ।
आश्रय:-
आपकी सोच को आप बेहतर मानते हे ये बहुत अच्छी बात हे
पर दूसरे कीं सोच को ग़लत तों ये ग़लत बात हे!!
- राधिका माहेश्वरी!!
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