शिव पार्वती की छाया में, उद्भव हुआ एक वंश महान,
नाम पड़ा 'माहेश्वरी', बना धर्म, नीति और सम्मान।
व्यापार हो या धर्म पथ, हर जगह कीर्ति फैलायी,
न्याय, नीति और परमार्थ से, अपनी पहचान बनायी।
संघ की शक्ति, एकता का दीपक, हर पीढ़ी को राह दिखाए,
संस्कारों की वह परंपरा, आज भी हृदय में समाए।
राजस्थान की रज-धूलि से, उठी एक संस्कृति प्यारी,
संघ की शक्ति, सेवा की भावना, हर पीढ़ी पर रही सवारी।-
श्रीराम के लिए जिनका जन्म हुआ था,
वहीं वीर तो आगे चलकर हनुमान कहलाया था।
लक्ष्मण को बचाने पूरा पर्वत उठा लाया था,
अपना प्रेम उन्होंने सीना चीर दिखलाया था।
सहस्त्र इन्द्र से बलिष्ट, साधुत्व से सम्पूर्ण।
मोह-लोभ से परे, रामभक्ति से परिपूर्ण।
ना ज्ञान का घमण्ड, ना क्रोध से विवश।
अष्ट सिद्धि से सबल, सर्व इन्द्रियों पे वश।
तूम विद्वान भी हो,तूम बलवान भी हो,
तूम भक्त भी हो,तूम भगवान भी हो।-
कण कण में जो बसे हैं, जिनका नाम राम है।
स्वयं महादेव जिनको पूजे, वो देवता ही महान् है।
श्रीराम सिर्फ नाम नहीं, विरता की शान है।
श्रीराम सिर्फ नाम नहीं, इतिहास का जीवनदान है।
राम जगत के सार है, राम नाम है आधार।
जो मन से करे सुमिरन, होता वह भव पार।
बरसों की तपस्या के फल स्वरूप,
हर भक्त के संघर्ष का प्रमाण है।
हमारे विश्वास की ये जीत है,
जो अवध में हमारे प्रभु श्रीराम विराजमान है।-
दियों की रोशनी से झिलमिलाता आँगन हो,
पटाखों की गूंजो से आसमान रोशन हो।
ऐसी आए झुमके ये दीपावली,
हर तरफ बस खुशियों का मौसम हो।
समृद्ध रहे, संपन्न रहे सब,
ना झोली किसकी खाली हो।
सब के जीवन में खुशहाली लाएं,
ऐसी ये दीपावली हो।
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गुरु से ही मनुष्य का जीवन शुरू होता है,
पाता है फल शिष्य जब गुरु बीज बोता है।
गुरु शिष्य का नाता तो,
सदियों से चला आया है।
तभी तो बिना द्रोण के,
कहा कोई अर्जुन बन पाया है।
जीवन का सही पांठ पढ़ाकर,
जिन्दगी जीना हमें सिखाते है।
अंधकारमयी ये जीवन को,
जैसे रोशन वो कर जाते है।
गुरु बिना ज्ञान कहा,उनके ज्ञान का आदि ना अंत यहा,
गुरु ने दी शिक्षा जहा,उठी शिष्टाचार की मूरत वहा।
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खूबसूरती की सबसे सरल भाषा है मां।
मेरे हर परिश्रम का संघर्ष है मां।
सपनों के रास्तों पे चलना सिखाती है मां।
तो कही गिर जाऊं अगर..
फिर उठ दौड़ना भी बताती है मां।
प्रथम गुरु होने का दर्जा बखूबी निभाती है मां।
बच्चों के लिए..
एक उज्जवल भविष्य का निर्माण कर जाती है मां।
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अक्षय तृतीया का दिन था, जब आया था अनोखा युग,
आज के इस कलियुग में ढुंढ रहे हैं हम सतयुग।
शिवजी के शीष से हुआ इस दिन गंगा जी का अवतरण,
वो भी करेंगी सभी के पापों का निवारण।
सच्ची मित्रता का मोल इसी दिन कृष्ण-सुदामा ने बताया,
पूरे विश्व के सामने एक नया इतिहास रच दिया।
व्यास जी ने की महाभारत रचने को शुरुवात,
उसी को लिखते समय गणेशजी ने गंवाया अपना दांत।
जब द्रोपदी ने लगाई कृष्ण को आवाज,
कृष्ण के लीला का हुआ एक नया आगाज़।
चमत्कारीक घटनाओं का दिन है ये अनोखा,
ऐसे अच्छे मुहरत को कही ना होगा देखा।
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श्रीराम के लिए जिनका जन्म हुआ था,
वहीं वीर तो आगे चलकर हनुमान कहलाया था।
ना ज्ञान का घमण्ड, ना क्रोध से विवश।
अष्ट सिद्धि से सबल, सर्व इन्द्रियों पे वश।
हनुमानजी राम को सबसे प्यारे है,
वो तो भक्तों में सबसे न्यारे है।
पल भर में उन्होंने लंका को जलाया था,
श्री राम को माता सीता से मिलवाया था।
लक्ष्मण को बचाने पूरा पर्वत उठा लाया था,
अपना प्रेम उन्होंने सीना चीर दिखलाया था।
तूम विद्वान भी हो,तूम बलवान भी हो,
तूम भक्त भी हो,तूम भगवान भी हो।-
कण कण में जो बसे हैं, जिनका नाम राम है।
स्वयं महादेव जिनको पूजे, वो देवता ही महान् है।
श्रीराम सिर्फ नाम नहीं, विरता की शान है।
श्रीराम सिर्फ नाम नहीं, इतिहास का जीवनदान है।
राम जगत के सार है, राम नाम है आधार।
जो मन से करे सुमिरन, होता वह भव पार।
बरसों की तपस्या के फल स्वरूप,
हर भक्त के संघर्ष का प्रमाण है।
हमारे विश्वास की ये जीत है,
जो अवध में हमारे प्रभु श्रीराम विराजमान है।-
सुरू होत आहे नवीन वर्ष..
मनात असू द्या नेहमी हर्ष!
येणारा नवीन दिवस ही करेल..
नव्या विचारांना स्पर्श!
अंगणात गुढी उभारली आनंदाची, मांगल्याची..
कामना करूया सुख, समृध्दी आणि निरोगी जीवनाची!
सुरुवात झाली चैत्र महिन्याची..
गुढी उभारू उंच आकाशात नवचैतन्याची!-