ए रात संभल ,
थोड़ा धीरे गुजर
मेरा यार हैं साथ
थोड़ा ठहर के चल
बरसों बाद मुलाकात आई है
वक्त ठहर जा चांदनी रात आई हैं
ख्वाब की हकीकत में बारात आई हैं
अभी देखा है मैंने उसे जी भर के
अभी भी जी मेरा भरा नहीं है
संभाल हैं ख़ुद को बहुत
अब लड़ खड़ाने दो
वो भी संभाले मुझे
बाहों मे उसकी गिर जानें दो
जो देखती हू आइना उसके बैगर
उस आइने में आज उसे भी निहारना हैं
आज खुद को नहीं उसके बालो को संवारना
बताना है , सुनाना हैं , समझना समझाना
दिल में भरा प्यार एक रात मे लुटाना है
सिरहाना हो उसकी बाहों का
गोद में उसके सोना है
हंसना हैं,रोना है
उस रात सिर्फ उसकी होना है
तू ही बता मैं यह सब कैसे करू
तू ठहर जा रात , न मैं तुझ से लडू
ए रात संभल ,
जरा धीरे गुजर
मेरा यार आया है
थोड़ा ठहर के चल
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