Radhika hindocha   (Radhi❤️)
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Joined 11 February 2019


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Joined 11 February 2019
16 NOV 2019 AT 12:18

ये सहमी सहमी आँखे, कुछ खामोश बातें ,
और फिर आज थोड़ी अपने आप से हसीन मुलाकाते!!

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19 MAR 2019 AT 15:36

દૂરથી જ એ વહી ગયા પાછળ
જોઇ મારી આંખોનું ફેલાયેલું કાજલ!!

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26 FEB 2021 AT 20:41

चार खानों का एक डिब्बा-जिंदगी

पहले में उम्र की अवस्थाएँ
दूसरे में ढेर सारा प्यार,नफ़रत,दर्द और अनकहे किस्से
तीसरे में प्रेम,मन में रखे प्रेम पत्र और आधी अधूरी छूटी हुई कहानियां(पूरा प्रेम से भरा हुआ हैं)
चौथे में चंद सपने और कई जिम्मेदारियां

और में इन डिब्बे के खानों में कैद कई खो गई हूँ या तो डिब्बा सही से खुल ही नहीं रहा या तो अंदर सब कुछ उलट-पुलट हो चूका हैं !

_जिंदगी लुकाछिपी खेल रही हैं


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25 FEB 2021 AT 17:19

यादों का कमरा!

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25 FEB 2021 AT 17:10

सपनो की कहाँनी!

(Caption❤️)

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4 NOV 2020 AT 15:34

तुम्हारे साथ खामोश भी रहूं तो बाते पूरी हो जाती है,
तुझमे थोड़ा मुस्कुराऊँ तो मेरी सारी दुनिया पूरी हो जाती हैं।

मेरी किताबो में लिखा तेरे नाम का पहला शब्द अक्सर मुझे छेड़ता हैं ,
तू ऐसा हैं कोन जो मुझे मेरे करीब जाने से रोकता हैं ।

तुम मुझे भले ही कैद न करो में फरार भी होना नहीं चाहती,
मैंने भले ही तुझे पाया न हो पर तुझे यूँ खोना नहीं चाहती।

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13 OCT 2020 AT 18:13

में जिसे प्यार करती हूँ वो कोई हैं या नहीं मुझे नहीं पता,
बस मुझे उसके साए से प्यार करना हैं ,
मुझे उसके अहसास में खुश रहना हैं ,
मुझे उसको हवाओ में महसूस करना हैं ,
मुझे उसे छूकर नहीं उसे देखे बिना प्यार करना हैं !

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12 OCT 2020 AT 12:16

रूह से प्यार किया है तो फिर कैसी फरियाद
खुश रह लेंगे हम बन के एक दूसरे की याद!

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8 OCT 2020 AT 12:30

हम फिर मिलेंगे!!

किसी की यादों में
में आँखे बनकर तुम्हे देखती रहूँगी
तुम आँसू बनकर मुझे बहा देना ।

किसी की छत पर चुपके से
में हाथ बनकर तुम्हे पकड़े रखूँगी
तुम अपने होठों से मुझे छू लेना ।

किसी किताब के पन्ने में
में अमृता की शायरी बनकर तुम्हे सुनाऊँगी
तुम खामोसी से मेरी तारीफ कर देना ।

किसी की बातों में
में तुम्हे कानों में चुपके से बातें कहूँगी
और मुझे अपने करीब बुला लेना!

किसी की खट्टी मीठी मस्ती में
में अपने बालों को तुझमे उल्जा के तुझे तकती रहूँगी
तुम मेरी बाली में से मेरे बालो को सुलज़ा के मुझे छू लेना!

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1 OCT 2020 AT 15:24

क्यों इतना खामोश रहना कुछ तो बोल,
तू अपना दरवाजा न सही जरा खिड़की तो खोल!

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