Radhe Shyam Chadar   (ketki)
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Joined 9 August 2017


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Joined 9 August 2017
11 HOURS AGO

मुस्काते गांव की सुबह शाम उदास हो गई
जबसे शहर की हवा गांव के पास हो गई

इंसानों को भी अब सुकून कहां मिलता हैं
जब ये जिंदगी सुविधाओं की दास हो गई

लोगों में आजकल संवेदनाएं मर सी गई
इंसानियत की अब तो शुरु तलाश हो गई

जिंदगी की कुछ पहेलियां हल कर न सके
उम्र ढलने ढलते जिंदगी भी निराश हो गई

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13 HOURS AGO

धीरे धीरे खुशियों के पल सिमटते चले गए
अच्छी यादों के निशान भी मिटते चले गए

सोचा था, अब तो, हालात काबू में हो चले
जितना कसे उतने मुझसे छिटकते चले गए

एक राह, चलते तो, शायद मंजिल पा लेते
कई राह चले हम फिर तो भटकते चले गए

भूलकर भूल न जाए उनकी अदाकारी हम
प्यार के सकल संवाद हम तो रटते रह गए

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24 APR AT 19:34

लगता हैं मेरी जिंदगी पतंग बन गई
जीतने हारने के प्रश्न में जंग बन गई

कौन सा दुःख छोड़े कौन पकड़े रखें
मेरी ख्वाहिशें अब अंग भंग बन गई

मिला न मुझको वादे निभाने वाला
गमों से दोस्ती अब अंतरंग बन गई

जो कभी मेरे दिल में बसा करते थे
उन्हीं से आजकल मेरी जंग बन गई

कोई मेरे हालात समझे या न समझे
हकीकत में ये जिंदगी बेरंग बन गई

जो आता हैं बजाकर चला जाता हैं
लगता हैं मेरी जिंदगी मृदंग बन गई

सोचा था कभी शान से जिया करेंगे
हसरतें रह गई जिंदगी बेढंग बन गई

अकेले चलने की ख्वाहिशों बहुत थी
कैसे चलेंगे जिंदगी अपंग बना गई

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24 APR AT 19:29

जिनको हमने चाहा वो छोड़कर चले गए
भरोसे में बंद ये आंखें खोलकर चले गए

रफ्ता रफ्ता मेरी जिंदगी चल तो रही थी
मेरी जिंदगी में आए तो रोककर चले गए

आए तो थे मेरा दुःख दर्द बांटने "केतकी"
बेहाल न दिखे तो मन मसोसकर चले गए

सब के सब जीवन में मदद देने नहीं आते
कुछ तो ऐसे आए दुःख परोसकर चले गए

आए तो थे लाइलाज़ मर्ज का इलाज करने
दवाएं, दुआएं ऐसी दी बेहोश कर चले गए

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24 APR AT 9:02

कुछ बातें मुस्कराकर टाल दो
कुछ बातें हंसकर कर टाल दो

कुछ आसान हो जाएगा जीना
कुछ बातें भुलाकर कर टाल दो

गलतियां सब से हुआ करती हैं
कुछ बातें समझाकर टाल दो

किसका भला हुआ है आग से
आगे न बढ़े बुझाकर टाल दो

मत करो बांते इधर की उधर
तुम कुछ बातें दबाकर टाल दो

दुःख देने वाले दुःख देते रहेंगे
तुम तो आंसू बहाकर टाल दो

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22 APR AT 20:05


जो न चाहें तुम्हें उनसे बर्ताव बदल लो
उनके जैसा तुम भी हाव-भाव बदल लो

दुखी होने से क्या हासिल होगा तुमको
तुम भी अपना कुछ स्वभाव बदल लो

जिनसे तुम्हें रोज दुःख दर्द मिलता हो
तुम भी तो उनके प्रति लगाव बदल लो

मिलते हैं रोज किसी न किसी चौराहे पर
तुम आज ही अपना वहां से ठांव बदल लो

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22 APR AT 20:02

ज़माने भर की रुसवाईयां मुझे ही क्यों मिलीं
सबको सब मिला मुझे ही बुराईयां क्यों मिलीं

लोग बीमार होते रहते हैं ठीक भी होते जाते हैं
फिर मुझे ही न लगने वाली दवाईयां क्यों मिलीं

सबको हिस्से में कुछ-न-कुछ तो अच्छा मिला
मेरे हिस्से में सब की सब तन्हाईयां क्यों मिली

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22 APR AT 19:59

जिंदगी में भी कैसे कैसे मोड़ आते हैं
जां से ज्यादा चाहो वही छोड़ जाते हैं

जिंदगी भर साथ देने वाले मिले नहीं
मिलने वाले भी तो वादा तोड़ जाते हैं

जिन्हें, रास्ते दिखाओ,दुनियादारी के ,
वो हमारी एक दिन आंखें फोड़ जाते हैं

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22 APR AT 9:54

हम अनकही बातों के शिकार हो गये
हमारे बने बनाए रिश्ते तार-तार हो गये

जब अपनों ने दर्द की दास्तां लिख दी
फिर तो सुनाने वाले भी हजार हो गये

वो चाव से लिखते रहे अपनी ही कहानी
हम उनकी किताब के पन्ने दो चार हो गये

उनके लिए जो सही था वो ही लिखा
हम तो बस भूले बिसरे विचार हो गये

उनके सपने हम कभी पूरे कर न सके
नजरिया उनका था हम बेकार हो गये

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21 APR AT 16:50

मैं चुप रहा वो प्रहार करते रहे
एक बार नहीं बार-बार करते रहे

कुछ बांते थी विवाद नहीं था कोई
फिर भी वो मुझसे प्रतिकार करते रहे

हम तो ढंकते रहे उनकी इज्जत आरज़ू
वो मेरे रिश्ते बार बार तार-तार करते रहे

न कुछ कहते न कुछ सुनते यूं चलते रहते
मन में पैदा कर खटास रिश्ते बेकार करते रहे

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