लम्हा लम्हा फिसलते वक्त की कहानी होती है।
रिमझिम फुहारों बीच, बारिश तुफानी होती है।
अचानक कुछ नहीं होता, जीवन की नदिया में,
तय मौत के आने तक,हिचकोलें खानी होती है।
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मेरा परिचय
मैं एक सीधी सादी सच्ची साधारण सी स्त्री हूं,
मैं समाज... read more
जो चाहता है दिल, वो मिलता कहां है।
यादों के समन्दर से निकलता कहां है।
वो वक्त वो अल्फाज़ भुलाए नहीं भूलते,
लड़खड़ाए कदम हे!मन सम्हलता कहां है।-
ढलता है, दिन यहां - वहां, कार्य बहुतेरे हैं।
फुर्सत की शाम होते ही तेरी यादों ने घेरे हैं।
कहें कैसे हृदय वेदना, आसमां के पंछी तुम,
राही न कोई रहनुमा कि हम तेरे बिन अधूरे हैं।
आना - जाना हुआ नहीं, वादे हजार करते हो,
दिन महीने साल गुजरे, अब तन्हाइयों के डेरे हैं।
संजोए सपने हजारों नैनों में नजरें राहों को घेरे हैं।
जाने कब रुक जाए सांसें,पलकों में अश्कों के फेरे हैं।
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कभी-कभी कुछ लोगों का...
आपसे जलने का कारण सिर्फ़ इतना होता है,
कि कहीं आपकी मौजूदगी उनका वजूद न ख़त्म कर दे!
शुभ प्रभात 💐🙏🙏
आपका दिन मंगलमय हो 🙏🙏-
बड़े ही फिक्र मंद रहते हैं .... कुछ लोग कि कहीं,
उनके काले कारनामों पर कुछ रौशनी न पड़ जाए!-
एक लड़की कभी आजाद कहाँ होती है।
गड़ी धरती में सपने आसमां के देखती है।
कहीं आने-जाने हों या हो कोई भी कार्य,
कभी पिता,पति फिर बेटे की राह तकती है।-
कठिन डगर, मुश्किल सफर, मंजिलें पुकारतीं हमें।
राहों में दुश्वारियां, तन्हाईयां,जिम्मेदारियां आगे बढ़ाती हमें।
हारे कभी,टुटे कभी,घर वाले रुठे कभी,हमें चलते जाना है,
लक्ष्य ठान कामयाबी के बढ़े निडर, मुश्किलें सँवारती हमें।
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बेबशी,बेखुदी,बेरुखी में ग़म के ओट तले मुस्कुराना आ गया।
बयां करुं किससे,लपेटे ज़ख्म मख़मल में दर्द छुपाना आ गया।
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क्या कहूँ,कैसे कहूँ
कि,तुम्हारा मिलना
तपती रेत पर
जैसे फुहार सावन की,
जाने क्यूँ,लम्हा लम्हा
वक्त गुजरता,
सिर्फ तुम्हारे ही
इन्तज़ार में,
न जाने,कब,क्यूँ,
कैसे बन गए
तुम मेरे दिल
के "सुकून"
स्वरचित - राधा सिंह
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———<🚩॥ॐ॥🚩>———
सादर प्रणाम 🙏
नव संवत्सर, विक्रम संवत-2082 हिन्दू नव वर्ष की आपको हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं…
…………यह नव वर्ष आपको तथा आपके स्वजन-परिजन-मित्रगणों के जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करे, आपके सभी संकल्प सिद्ध हों,
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम से यही प्रार्थना है।
🥀🚩सादर,🚩🥀
सक्षम प्रांत महिला प्रमुख-