Rachana Sharma  
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Joined 27 May 2020


Joined 27 May 2020
28 MAY 2023 AT 21:00

अर्थ में अनेक अर्थ 
मौन भी हुआ है व्यर्थ !!
कुछ कहूॅं या चुप रहूॅं
प्राण की गुहार है 
हो अगर मानव तो समझो
शून्यता बेकार है … !!!

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29 JAN 2022 AT 14:49

एक शख्स खयालों जैसा था
कुछ बुझा मिटा कुछ जला गया
वो दर्द बयां क्यूंकर करना
कुछ रहा सहा कुछ चला गया ...

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22 JAN 2022 AT 14:25

घूॅंट घूॅंट ले खामोशी से 
या खुल के बता गर कच्ची हो
या फिर ऐसी चाय बना 
जो मेरी चाय से अच्छी हो ...

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22 JAN 2022 AT 13:48

दूरियों के खेल में
दूरियॉं खलती नहीं
कुर्बतों की बात थी
जहॉं फासले भारी पड़े ...


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21 JAN 2022 AT 7:16

भूल गए तेरी अदावत
कर लिया दिल साफ
अब चाय पिला दी तुमने
तो हज़ार खून माफ…


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21 JAN 2022 AT 5:33

कुछ हर्फ थे बेजान, न जाने
सॉंस का क्या काम था
एक उम्र गुजरी तब लगा 
मुझ से जुदा मेरा नाम था ...

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16 JAN 2022 AT 5:59

न लिखने का मन  मन का खालीपन

बोलने की कोशिशें  हाशिए की बंदिशें

शब्दों की बेतुकी अर्थ की नाराज़गी

इंसा का एक हिस्सा, कहानी का एक किस्सा..




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2 JAN 2022 AT 6:35

इक दीए की रोशनी सी
जिंदगानी मैं लिखूॅं
हो कलम पे जोर मेरा
मेरी कहानी मैं लिखूॅं...


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2 JAN 2022 AT 6:19

वो कैसा आदमी है 
जानना हो 
तो फकत देखो,
किसे क्या याद रहता है
कोई क्या भूल जाता है...


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21 DEC 2021 AT 6:21

सागर में मोती के जैसे
नाकारे थे बेचारे थे,
शब्दों के कुछ मतलब नहीं थे
मतलब सब हमारे थे ...

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