अर्थ में अनेक अर्थ मौन भी हुआ है व्यर्थ !!कुछ कहूॅं या चुप रहूॅंप्राण की गुहार है हो अगर मानव तो समझोशून्यता बेकार है … !!! -
अर्थ में अनेक अर्थ मौन भी हुआ है व्यर्थ !!कुछ कहूॅं या चुप रहूॅंप्राण की गुहार है हो अगर मानव तो समझोशून्यता बेकार है … !!!
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एक शख्स खयालों जैसा थाकुछ बुझा मिटा कुछ जला गयावो दर्द बयां क्यूंकर करनाकुछ रहा सहा कुछ चला गया ...— % & -
एक शख्स खयालों जैसा थाकुछ बुझा मिटा कुछ जला गयावो दर्द बयां क्यूंकर करनाकुछ रहा सहा कुछ चला गया ...— % &
घूॅंट घूॅंट ले खामोशी से या खुल के बता गर कच्ची होया फिर ऐसी चाय बना जो मेरी चाय से अच्छी हो ... -
घूॅंट घूॅंट ले खामोशी से या खुल के बता गर कच्ची होया फिर ऐसी चाय बना जो मेरी चाय से अच्छी हो ...
दूरियों के खेल मेंदूरियॉं खलती नहींकुर्बतों की बात थीजहॉं फासले भारी पड़े ... -
दूरियों के खेल मेंदूरियॉं खलती नहींकुर्बतों की बात थीजहॉं फासले भारी पड़े ...
भूल गए तेरी अदावतकर लिया दिल साफअब चाय पिला दी तुमने तो हज़ार खून माफ… -
भूल गए तेरी अदावतकर लिया दिल साफअब चाय पिला दी तुमने तो हज़ार खून माफ…
कुछ हर्फ थे बेजान, न जानेसॉंस का क्या काम थाएक उम्र गुजरी तब लगा मुझ से जुदा मेरा नाम था ... -
कुछ हर्फ थे बेजान, न जानेसॉंस का क्या काम थाएक उम्र गुजरी तब लगा मुझ से जुदा मेरा नाम था ...
न लिखने का मन मन का खालीपनबोलने की कोशिशें हाशिए की बंदिशेंशब्दों की बेतुकी अर्थ की नाराज़गीइंसा का एक हिस्सा, कहानी का एक किस्सा.. -
न लिखने का मन मन का खालीपनबोलने की कोशिशें हाशिए की बंदिशेंशब्दों की बेतुकी अर्थ की नाराज़गीइंसा का एक हिस्सा, कहानी का एक किस्सा..
इक दीए की रोशनी सीजिंदगानी मैं लिखूॅंहो कलम पे जोर मेरामेरी कहानी मैं लिखूॅं... -
इक दीए की रोशनी सीजिंदगानी मैं लिखूॅंहो कलम पे जोर मेरामेरी कहानी मैं लिखूॅं...
वो कैसा आदमी है जानना हो तो फकत देखो,किसे क्या याद रहता हैकोई क्या भूल जाता है... -
वो कैसा आदमी है जानना हो तो फकत देखो,किसे क्या याद रहता हैकोई क्या भूल जाता है...
सागर में मोती के जैसेनाकारे थे बेचारे थे,शब्दों के कुछ मतलब नहीं थेमतलब सब हमारे थे ... -
सागर में मोती के जैसेनाकारे थे बेचारे थे,शब्दों के कुछ मतलब नहीं थेमतलब सब हमारे थे ...