प्रेमिका के लिए मंगाए हैं उसने
इत्र लगे हुए महंगे गुलदस्ते बाज़ार से,
उसने भूख से तड़पती लड़की का
सस्ता गुलाब नहीं खरीदा,
देखो ना कितना गरीब है वो
उसने दुआ खरीदना नहीं सीखा...-
नवोदयन
Law Student
Anchor
Writer
Poet
Politician
इससे ज्यादा और क्या कर सकते हैं किन्हीं के लिए
उन्हें आजाद कर सकते हैं हम उन्हीं के लिए-
गर कभी तुम मुझसे मिलने आना,
एक किताब, मुट्ठी पर गांव की मिट्टी,
थोड़ा वक्त और चंदन लेकर आना...
मैं इंतजार करूंगा-
गर मुनासिब लगे,
तो किसी शाम मिलने आना,
मुझे घंटों बैठ कर
चांद देखना है!— % &-
यूं बहुत कुछ लिखा इश्क़ पर,
लेकिन हर बार कलम रुकी,
जब-जब लिखना चाहा तुम पर!-
क्या हुआ? दुबारा वापस आए हो?
अच्छा बैठो! देखते हैं कब तक ठहरोगे तुम!-
मुद्दतों बाद निकल आया हूँ गिरफ्त से,
अब जुर्म भी करुंगा तो इश्क़ नहीं करूंगा।-
तुम अब मुझे नहीं पढ़ती,
इसलिए मैं अब नहीं लिखता,
तुम अब मुझे नहीं सुनती,
इसलिए मैं अब नहीं कहता,
अब तुम वापस मिलने आई हो?
सुनो मैं अब यहां नहीं रहता!!-
कुछ लोग मेरी शख्सियत का अंदाज़ा लगाने आये हैं,
जरा पता करो कि कौन सा पैमाना लेकर आये हैं!
वो नादान हैं बहुत, सोचते हैं मिटायेंगे हस्ती मेरी,
मुझे बेनकाब करने वाले, नकाब लगाए आये हैं!!-
मेरे पास अपने इश्क़ के वो पुराने किस्से मत सुनाओ,
मैं भी इसी आग का राख हूँ, सब धुआं-धुआं सा लगता है।-