अपने म्यार से नीचे मैं आने से रहा
शेर भूखा हो लेकिन घास खाने से रहा ..........-
तुम्हारी DP में मेरा मन ऐसे खो जाता हैं
जैसे इतिहास की class में कोई बच्चा सो जाता हैं..-
इस साल न हो पुर-नम आँखे, इस साल न को खगोली हो, ટા સમ ના વિો વધને હટાવેટોરી છે. इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखें हो, इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पीखें से, ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाए तो अव है, ये साल अगर हमसे हम को मिलता जाए तो अच्छा है, वाहे दिल की बंजर घरती सागर मर आँसू पी आए, ये साल मंगर कुछ फूल नए खिलवा जाए तो अच्छा है, ये साल हमारी किस्मत में कुछ नए सितारे टॉकेगा, ये साल हमारी हिम्मत को कुछ नई नजर से ओकेगा, इस साल असर हम अम्बर से दुख की बदली को हटा सके तो मुमकिन है कि इसी साल हम सब में सूरज झाँकेगा....
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नमन किया राणा ने हल्दीघाटी को रुक कर के
नमन किया राणा ने हल्दीघाटी को झुक कर के
राणा बोले होंगे , मेरी मिट्टी , तुमको नमन आज करता हुँ
तू मिट्टी स्वाभिमानी , तेरे चरण शिश धरता हुँ
तेरी गाथा आगे चल , सोते को यहाँ जगाएगी
तेरी मिट्टी का दुनिया , माथे से तिलक लगाएगी ।।
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आखिर कैसे हो जाऊं तुम्हारी मोहब्बत में फना
मांगी थी नौकरी थमा दिया रिफाइंड नमक और चना
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काशी शब्दों का विषय नहीं है,
संवेदनाओं की सृष्टि है।
काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है!
काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है!
काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है!
काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है
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