दिन दूनी....रात चौगुनी....बेशक तुम उन्नति करो तेज़ नहीं मगर..संयत पहले अपनी तुम गति करो - राजीव तनेजा
दिन दूनी....रात चौगुनी....बेशक तुम उन्नति करो तेज़ नहीं मगर..संयत पहले अपनी तुम गति करो
- राजीव तनेजा