तुम क्या मोल दोगे उसकी मोहब्बत का,,,
बढ़ती उम्र और बदलते जमाने में,
आज भी नाक की बाली न उतार,आंगन में खेलती मुन्नी को जिंदा रखा हुआ है उसने।-
राजगुरु मीणा
(राजगुरु मीणा)
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कलम पर भरोसा मत करना,यह मोहब्बत में होते हुए भी पीर लिखना बख़ूबी जानती है!
Joined 31 May 2017
17 SEP 2020 AT 18:29
10 JAN 2018 AT 12:26
कुछ रिश्ते थे,वही काफी थे..
पल भर की खुशी को।
भ्रूण से सिमटे..सिमाओं में घिरे,
कीमत थी उस पल की भी.,
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पर झलक एक जब उनकी मिली,
पल वो अनोखा..या जरा खास था..
सब कहते है प्रेम उसे,
परंतु मेरे लिए तो मानों पुनर्जन्म सा एहसास था।
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रिश्ते कई नए मिलने लगे,
रास्ते नए कई..वही पुरानी राहों से बनने लगे.,
पुराने किमती पलों की कीमत को,
उन संग बिताए पलों ने चुराया है!
खुद को बेहतर..और बेहतर बनाने की बहती सोच पर.,
सेतू खुद पर खुदी का..उन्हीं की संगत ने बनाया है।
कहीं दूर थे दिल से कभी..
मिलने से उनके,
आज कहीं मन-मधुवन के पास है,
सब कहते है प्रेम उसे
परंतु मेरे लिए तो मानो पुनर्जन्म सा एहसास है।-
29 JUN 2021 AT 17:41
बस यही सोचकर,
ज्यादा सिकवा नहीं किया मैंने,
कि हर कोई अपनी जगह सही होता है !🍁-
28 JUN 2021 AT 11:14
लैला नहीं थामती अब
किसी बेरोजगार का हाथ,
मज़नु को गर इश्क़ है तो कमाने लग जाए ।-