अकेलेपन में अक्सर_ बीते पल याद आते हैं। विचार ऐसे में _ रुक नहीं पाते है ।। जिंदगी के खट्टे _ मीठे अनुभव सभी के साथ होते है। सताते भी है कुछ _ कुछ दिल भी तो बहलाते है ।।
जब शाम हुई _ सुबह के निकले पंथी लौटने लगे अपने_ अपने, आशियानों में । बिछड़े थे सुबह _ शाम को मिलेंगे स्वजन _ यही चाह उनके कदमों में स्फूर्ति का संचार करने लगी ।।
यह मत कहो कि समय नहीं है _ यह कतई सही नहीं है। क्योंकि आप जहां कहीं जाते हो _ बस एक ही बात बताते हो , "समय " नहीं है ।देखा है हमने_ आप जहां रहते हो, वहां लोगों के बीच बैठकर _ व्यर्थ की बातें करते हो । अब बताओ _ समय वहां नहीं था, या यहां नहीं है।"
तेरी आंखों में देखा है मेरा ही ख्वाब लगता है। मुझे ही ढूंढने को तू यहां से वहां को भगता है।। सच-सच लिख रहा हूं यह इसे तू मान ही लेना। जैसे तू जागता है मेरा यह दिल भी जगता है ।।