घर की छत क्या सजाते हो,मजबूत बुनियाद रहनी चाहिए,
मुझे जीने को और क्या चाहिए ,बस तेरी,याद रहनी चाहिए।
सूख जाया करते हैं वो पौधे अक्सर,बेरुखी के जोर से,
रिश्तों के फूल खिलाने को, समय की, खाद रहनी चाहिए।
वो शायर है ,उसे खुश रहने को और चाहिए ही,क्या भला,
वो शेर पढ़े और उसपे लोगो की करारी, दाद रहनी चाहिए।
प्यार,इश्क़, वफ़ा ,जफ़ा जो करना है करो ,पर याद रखना,
महबूबा की जगह दिल में हमेशा,माँ के,बाद रहनी चाहिए।।
तुम धर्म-मजहब बाँट लो,तुम मंदिर-दरगाह बाँट लो
पर इंसानियत इंसान को , हर घड़ी ,याद रहनी चाहिए।।
-पृथ्वीराज
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Nawab e urdu..
Chai ka pyasa..
Badchalan..
Badtameez..
Shareef..
झूठी और गलत बात हमसे, की नहीं जाती,
वो सिर्फ दोस्त है मेरी,मगर समझी नहीं जाती।
सीखा है होकर बदनाम महफ़िलो में हमने,
दारू हर किसी के साथ बैठकर ,पी नहीं जाती।
खुद हो गया तो ठीक ,वर्ना न ही होने दो,
मोहब्बत है ऐसी चीज पूछकर, की नहीं जाती।
अब हो गया मौला मेरे, सब ठीक भी कर दो,
घर बैठकर यूँ जिंदगी अब, जी नहीं जाती।।
बिखड़ा पड़ा है सब ,माँ को इत्तला कर दूं,
झूठी तसल्ली,और उसको,दी नहीं जाती।
मोहब्बत में यूँ भी लबों को चूम लेते हैं,
हर चीज में 'पृथ्वी' इजाजत ,ली नहीं जाती।।
-शुभम् राज 'पृथ्वी'
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एक घर को घर तब कहते हैं,
जब स्त्री वहाँ पर वास करे,
जीवन भी तब ही जीवन है,
नारी जब उसको खास करे।।
#happy_women's_day
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तेरा हँसना, तेरा रोना,
तेरा बच्चों सा यूँ होना,
तेरा झुमका,तेरी बाली,
तेरा गुस्सा ,तेरी गाली।
तेरी तारीफ ,तेरी वाह,
तेरा चेहरा ,हाय अल्लाह।।
तेरी जुल्फ़े ,तेरी काजल,
तेरा करना मुझे पागल।
तेरी मेहनत ,तेरा सपना,
तेरा कहना मुझे अपना।
तेरी साड़ी ,तेरी पायल,
तेरे लहजे के हम कायल।
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न प्यार है,न दोस्ती,अलग ही है ये राब्ता,
न ही कोई सवाल है,नहीं है कोई जाबता।
वो गुफ्तगू करे तो फिर,ये दिन मेरा कमाल है,
उसे मेरा वो सब पता,जो खुद नहीं मैं जानता।।
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I want to give so much love to people in the next year too...
That whenever they want to come back in life ,I am the only reason.-
बुरी लगती किसी की बात, तो बताते नहीं शुभम्,
वक़्त इक रोज़ बदलता है,यही तजुर्बा कहता है।।
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बड़े खुदगर्ज़ हैं वो लोग शुभम्,
अदाकारी भी लाजवाब किया करते हैं,
जब तारीफ सुननी होती है खुद की,
तब दूसरों की तारीफ कर दिया करते हैं,
बच के रहना ऐसे लोगों से,
ये किसी के सगे नहीं होते,
ये वही हैं जो सामने से सलाम ,और पीछे,
खंजर से वार कर दिया करते हैं।।-
ये दुनिया मेक-अप करती है,उसे बस हँसना आता है,
जो गंगा है दिल मेरा,वो काशी का किनारा है।।
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यहाँ सैंकड़ो चेहरे करीब से देख के भी भूल जाता हूँ,
और एक उसकी तस्वीर है,
जो जेहन चीड़ के हर पुरानी बात याद दिला जाती है।।-