राज   (ÃRSingh)
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Joined 11 March 2021


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Joined 11 March 2021
21 JAN 2022 AT 1:22

हालात हाल के जंजीर बने बैठे है,
और रास्ते का खौफ़ रुकने नही देता।

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25 DEC 2021 AT 22:10

इतना कुछ छूटते देखा हाथों से मियां की ,
अब कुछ भी छूट जाए तो ज़्यादा मलाल नहीं होता।

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8 DEC 2021 AT 21:58

बस एक डर यही कहीं निकल न जाऊं राहों से,
हम हर रोज़ पैरो में नई जंजीर बांध लेते हैं।

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1 DEC 2021 AT 22:52

उसे भुला देने का बेहद मलाल है हमें,
जिसे याद रखना हमारे लिए मौत था।

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15 NOV 2021 AT 20:53

जौन को पढ़ना और नुसरत को सुनना,
कुछ और लिखूं की समझ गए सब।

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4 NOV 2021 AT 23:04

लगता है लड़ना होगा ख्वाबों को हाथों में लाने के लिए,
मिलता गर बाजार में तो अबकी दिवाली पिताजी से वही मंगवाता

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16 OCT 2021 AT 0:11

कुछ तो गलती हुई पिछले साल रावण मारने में,
राम भईया ये रावण तो अबकी भी तन के खड़ा है।

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15 OCT 2021 AT 12:47

बाहर से ही देखिए, हसिए और जाइए जनाब,
बात करी बैठे हाल पूछा तो बेकार में हैरानी होगी।
🚬शून्य🚬

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3 OCT 2021 AT 19:26

हम जानते थे किसी भी ख़त का जवाब नही आयेगा,
इसलिए हमनें भेजे गए खतों में अपना पता नही लिखा।
🚬अनुमान🚬

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29 SEP 2021 AT 22:18

हम चाहते नही की भूल जाए तुम्हारी कोई भी बात,
यूंही अगर चलता रहा तो 20 दिन भी ज़्यादा होंगे।
🚬एहतियाज🚬

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