राहुल सिंह आयु  
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हर आशिको की आशिकी का नाम लिखता हूं
मैं भी मेहबूब बड़े प्यार से मेहबूब को पैगाम लिखता हूं
Joined 27 September 2018


हर आशिको की आशिकी का नाम लिखता हूं
मैं भी मेहबूब बड़े प्यार से मेहबूब को पैगाम लिखता हूं
Joined 27 September 2018

न भूलेंगे , न माफ करेँगे
अभी तो ये नजराना है
साले तुझे हम नक्शे से साफ करेंगें ।।
जय हिंद --IAF

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चलो हम प्यार करे
एक नही सौ बार करे
तुम मिल के कहना कुछ
हम उसको साकार कर ,,
जब भी मैं तुमसे मिलने आउ
तू शवेत रंग में रम जाना
जब तक मिलन पूरा न हो
तब तक न तुम अपने घर जाना
एक तलक मिला करे
मिल के शिकवे गिला करे,
प्रेम जुगल एक -बंदी हो
सोच कभी न गंदी हो
ऐसा ही विचार करे
आओ हम प्यार करे
एक नही सौ बार करे

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वक़्त ने दिखाई है अवकात हमारी
ऐसे ही घर मे दुबक के नही बैठे है

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झूठ पर चल कर आते है लोग
सच कहने से घबराते है लोग
छोटी सी जिंदगी क्या क्या कहे
इसी सोच में मर जाते है लोग

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उड़ना है तो खुद को कभी रोको मत
अपने ख्वाब को फैलने दो टोको मत
रहना है जीवन मे खुशहाल तो याद रहे
खुद के शिवा किसी से उम्मीद रखो मत

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"छोड़ो"
कितना छोटा शब्द लेकिन मायने बहुत बड़े
कोई रोड पर गिर गया दर्द से कराह रहा
हम कहते है" छोड़ो " हमे क्या।।
घर के बगल में कोरोना मरीज़ मिला हैं
मास्क पहन लो
हम कहते " छोड़ो " हमारे घर थोड़ी मिला है।।
किसी बेटी को कोई छेड़ रहा है और
हम कहते है "छोड़ो" क्या मतलब है हमसे।।
लोग मर रहे है एक दूसरे की मदद से
कुछ लोग बच सकते है लेकिन
हम कहते है छोड़ो
कितना छोटा शब्द लेकिन मायने बड़े ।।

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ख्वाब कहा बताते है सफर कैसा होगा
आईना से पूछ तेरा अशर कितना होगा
ये जिंदगी के जुस्तजू से जितना है तो
मंजिलो में ठोकरों के साथ हँसना होगा

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ख्वाब कहा बताते है सफर कैसा होगा
आईना से पूछ तेरा अशर कितना होगा
ये जिंदगी के जुस्तजू से जितना है तो
मंजिलो में ठोकरों के साथ हँसना होगा

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ये शाम जो ही ढल जाती है
बस तेरी कमी खल जाती है

अंधेरी रात में तेरा चेहरा नजर आता है
धीरे-धीरे आँखों से नीद निकल जाती है

जागते हुए भी सपना देखता हूं
नींद ये देख कर ही जल जाती है

ख्वाब में तू रोज मिलती है मुझे
हकीकत में हाथ से निकल जाती है

तूने कल ही तो कहा था तू मेरी है
बदलते रात के तू भी बदल जाती है

अब मुसीबत समझ के उसको याद रख राहुल
गलिमत है मुसीबत ही आसानी से मिल जाती है

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राज दिल का वो आंखों से बता देता था
जब भी टुटता था दिल बस मुस्कुरा देता था

और ऐसा नही की कोई काबिलियत नही थी
होकर उदास वो अक्सर मुझे रुला देता था

कोई बताता भी नही था खुद से जान जाता था
मैं जब भी गुस्सा होता था मुझे हँसा देता था

बड़ी अदब थी उसके इज़हार-ए-मोहब्बत में
दूर हो जाएगा कह के मुझको डरा देता था

मैं काहू भी तो क्या ?की मोहब्बत है तुमसे
तुम मेरे हो कह के बहला देता था

मैं उसका हु वो ये जान कर भी लड़ता था
तुम बस मेरे हो कह के गले लगा लेता था

बहुत शिक़ायत थी उसको अपने यार से यारो
मुझसे मिलते ही शिकायत भुला देता था ।।।

राज दिल का वो आंखों से बता देता था
होकर गुस्सा मुझे वो मना लेता था


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