तिल तिल कर घिसना होगा,
तुमको आगे बढ़ना होगा
पग–पग पर ठोकर खाकर भी,
तुमको फिर से चलना होगा
राजा की संतान नहीं तुम,
जो तुमको सब मिल जाएगा
दुनिया का हर बन्दा,
पग–पग तुमको गिराना चाहेगा
पर फिर भी तुमको उठना होगा,
धीरे धीरे चलना होगा
न हो कोई साथ तुम्हारे,
पर तुमको आगे बढ़ना होगा
कोई राजा की संतान नहीं तुम,
जो तुमको सब मिल जाएगा
मध्य वर्गीय बच्चे हो तुम,
तुमको संघर्ष ही सिखाएगा...।।-
स्त्री की चाह क्या?
प्यार, सम्मान और साथ
जहां मिल जाए उसे ये तो,
छोड़ देती है वो, दुनिया का साथ
एक छोटी सी कुटिया में भी,
पूरा जीवन बीता लेती है
किसी के नाम का सिंदूर भरकर,
सब कुछ निरछावर कर देती है
माना ऐसी स्त्री अब,
बहुत कम ही मिला करती है
पर सच मानो दुनिया में अब भी,
ऐसी स्त्री हुआ करती है।।-
जो सोचा था वो हो न सका
हर बार कोशिश की
हमने तुमको पाने की
पर किस्मत से तुमको ले न सका
तुम्हारा साथ मिल न सका-
लाखों राज छिपाए बैठी है
कहानी नई कहती है
मुझसे कुछ नहीं लेती है
सबकुछ मुझको देती है
एक किताब-
जब जाना ही था छोड़कर,
मुझसे मुंह मोड़कर,
फिर क्यों रिश्ते बनाए...?
तुमने की सपने दिखाए..?-
आरजू होती है ख्वाइश,
ख्वाइश होते है ख्वाब
ख्वाब देखते देखते साहब,
बीत जाते है दिन रात
कोशिश का दामन थाम दोस्त,
ख्वाब आयेंगे पास
पूरी होगी आरजू,
ना रहेगी कोई आस...।।-
उम्मीदों के सहारे ही चल रही है जिंदगी,
वरना लोगों ने तो बहुत दिखाया है हमको
बस, कुछ दोस्तो ने संभाला है हमको..।।-