वही एक इश्क़ खूबसूरत है
वही एक इश्क़ जो अधूरा है-
Scetch art 🎨
Guitar 🎸
Photography 📷
सरल, प्रयासरत, आश्वस्त
Indore(M.P.)
*Plea... read more
तू ज़रा सोच, तेरे कितने पास था मैं भी,
परेशां तू, खड़ा कहीं उदास था मैं भी,
था तेरा दोष नहीं, था ये मेरा सादापन,
तुझे न इल्म हुआ, आसपास था मैं भी,
तेरी यादों का है सैलाब मेरी आँखों में,
उन दिनों तेरे लिए कितना ख़ास था मैं भी।-
अजब सी अपनी मुश्क़िल है,
रस्ता गुम, गुम मंज़िल है,
हमने सबको ख़ूब हँसाया,
पर कुछ भी ना हासिल है।
जिसको हमने प्रेम सिखाया,
वो ही अपना क़ातिल है।
बीच खड़े हैं सागर में,
दूर तलक ना साहिल है।
वो जो मर मिटता था हम पर,
दुश्मन दल में शामिल है।
उसने बढ़कर हाथ मिलाया,
हमें लगा हम क़ाबिल है।-
अपने ख़ुदा को रब को ईश्वर को बाटकर
हमने वतन को रख दिया है यार काट कर-
हँसते गाते यार गुज़ारा हो जाए,
किसी तरह वो शख़्स हमारा हो जाए,
उसकी हाँ हो तो ये कहना झूठ नहीं,
डूबते को तिनके का सहारा हो जाए,
दुआ करो ए यार किसी दिन ऐसा हो,
ये शायर कुछ उसको प्यारा हो जाए,
थाम हाथ हम शाम उसे ये कह देंगे,
जो मेरा है सब वो तुम्हारा हो जाए।-
शहर की दुश्मनी अच्छी है ना ही दोस्ती अच्छी
ज़मीनें गाँव की बिक जाती है इक घर बनाने में-
हमारे साथ की बातें कभी जो याद आएगी
हमें वो ढूंढते इक दिन अहमदाबाद आएगी-
हुआ मुश्किल निभाना तो किनारा कर लिया है,
सुना घर के बड़े बेटे ने अपना घर लिया है,
अजब सा हाल है रिश्तों में सीलन पड़ चुकी है,
गज़ब ये है नए लोगों को दिल में भर लिया है,
ये सब रस्ते तुम्हारे हैं ये सब मंज़िल तुम्हारी है,
है पर जिसकी वजह से उससे अंतर कर लिया है,
ज़रा हमसे ख़बर भी लो हमें अपनी ख़बर भी दो,
शहर ने गाँव के लड़कों को ये क्या कर दिया है।-
दौड़ती इस ज़िंदगी में नौकरी पा ली मगर,
घर चलाया जा रहा है ख़्वाब अपने मारकर,
खुद को देखेंगे कभी सोच था एक स्टेज पर,
चल पड़े हैंं नौकरी पे बस में फिर से बैठकर,
हम के वो जिसने कभी पाया न साथी चाह का,
मन नहीं मिलता है जिसके साथ है हम हारकर,
है सज़ा ये जो समय पर छोड़ घर निकले नहीं,
अब है ये के खा रहे हैं वक़्त अपना बेचकर,
शौक़ भी पूरे हो रोटी भी मिले मुमकिन कहाँ,
हमने ये लिक्खा है सालों का तजुर्बा देखकर
रात मायूसी थकन कमज़ोर करती सोच कर,
सब को मंज़िल मिल रही हैं एक हमको छोड़कर।-
इस ओर के मुसाफ़िर उस ओर देख ना,
जो छोड़ गए साथ उनको छोड़ देखना,
मिलती नहीं किसी को किनारे पे मंज़िलें,
पाने को चल ठिकाना कोई ठौर देख ना,
ये काफ़िला तो साथ हमेशा ना रहेगा,
मुश्किल है सफर पर तू सरल मोड़ देख ना,
काफी है इक पतंग आसमान नाप ले,
कितनी बची है मांझे में तू डोर देख ना,
दौड़ रहा वक़्त दौड़ती है जिंदगी,
दौड़ तू भी हो के खड़ा दौड़ देख ना।-