नशा तनख़्वाह का होने लगा है
सुना है शेर दफ़्तर जा रहे हैं-
Scetch art 🎨
Guitar 🎸
Photography 📷
सरल, प्रयासरत, आश्वस्त
Indore(M.P.)
*Plea... read more
कुछ देर उसके शहर में गाड़ी रुकती है
फिर गाड़ी चल देती है, हम रुक जाते हैं-
मात्राएं सौंदर्य है जिसका
और श्रृंगार में बिंदी है,
सदा से युवा देश हमारा
भाषा जिसकी हिंदी है।-
यही बस सोचकर हमने कभी नंबर नहीं बदला
के भूले से कभी उसका कहीं ना कॉल आ जाए-
इश्क़ पे फिर पड़ी है भारी नौकरी,
दामाद उनको चाहिए सरकारी नौकरी।
ख्वाब ना के, इश्क़ ही पूरा हुआ कभी,
हारे सदा ही हम, मगर न हारी नौकरी।
पूछ ये किसी ने मेरा दिल दुखा दिया,
और कैसी चल रही तुम्हारी नौकरी।
शौक, हसरतें, न उम्मीदें, न प्यार है,
बंदर से बने हम, बनी मदारी नौकरी।
हमने नशे में यार से हर बार ये कहा,
छोड़ेंगे, पर न छूटे, रहे जारी नौकरी।
यूँ तो हज़ार ग़म हैं अपने सामने, मगर
हमको संभाले रखती है हमारी नौकरी।-
कहानी में मेरा किरदार क्या है,
मिला तुमसे तो जाना हार क्या है।
उमड़ आए मेरी आँखों में बादल,
हुए जो दूर, जाना प्यार क्या है।
खड़ा जो साथ था हर वक़्त मेरे,
गया वो तो भला अब यार क्या है।
उतर आता है अक्सर ही ज़ेहन में,
एक ही चेहरा, ये हर बार क्या है।
हो पहले देश या मज़हब हो पहले,
बता तू ही तेरे अनुसार क्या है।
घड़ी मुश्किल की अपने सामने है,
चलें देखें कि अब उस पार क्या है।-
तू ज़रा सोच, तेरे कितने पास था मैं भी,
परेशां तू, खड़ा कहीं उदास था मैं भी,
था तेरा दोष नहीं, था ये मेरा सादापन,
तुझे न इल्म हुआ, आसपास था मैं भी,
तेरी यादों का है सैलाब मेरी आँखों में,
उन दिनों तेरे लिए कितना ख़ास था मैं भी।-