"छठ "उपासना और संस्कृति का प्रतीक पूर्वांचल और बिहार की एक पहचान है, उगते सूरज के साथ-साथ डूबते सूरज की अरघ बेला इस सच्चाई से रूबरू कराती है ; कि जो परिवार को सींच रहा है और जो परिवार को सींच चुका है दोनों का महत्त्व बराबर है 🙏
संस्कार और तहजीब की मिठास से भरा "छठ "का "महाप्रसाद ठेकुवा" बिहार और" छठ" की महता को देश दुनिया में प्रसारित करने में अपनी भूमिका निभाता आ रहा है !!
ठंडे जल में खड़े होके "सूरज देव" के उगने की प्रतीक्षा करती" तिवैया" इस बात की प्रतीक हैं कि जिंदगी त्याग, तपस्या और संयमता ही तो है!
नाक से लेके माथे से ऊपर तक भरी मांग में सिन्दूर प्यार, जीवन की सच्चाई और जीवन साथी की जीवंतता का प्रतीक हैं...
जी "छठ" सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, पूर्वांचल और बिहार के लोगो का घर लौटने का इंतज़ार है.......जी "छठ" हमारी धड़कन और पहचान हैं
"छठ" हमारा महापर्व है📿💐🌄🌄🌄🌄
छठ महापर्व की शुभकामनाएं 🌄
राहुल मसान🖊️🖊️📿
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हजारों दीपों में एक प्रकाश का दीप अपने अंदर भी जलाना
उम्मीदों और विश्वास की एक किरनपुँज अपने अंदर भी जगमगाना
और बड़ो के सम्मान और पूर्वजों के आदर स्वरूप पहला दीप जलाना
छोटे की उम्मीदों और जिम्मेदारियों का एक संकल्प स्वयं पर उठाना।
दिवाली की ढेरों शुभकामनाएं।।।।🎊💐
माता लक्ष्मी 🎊🙏🏼और सिद्धिविनायक🙏🏼🎊 की कृपा आप सब पर बनी रहें।।।।-
ज़िन्दगी किसका-किसका परिहास करोगी, तुम किसकी हो सिवाय मौत के अलावा ;तुम्हारा अस्तित्व मौत के आगोश में समा जाने के अलावा और क्या ही है!?
मौत! तुम स्वीकार योग्य जरूर हो लेकिन तुम्हारा यूं अचानक आ जाना बिन बुलाए मेहमान सा लगता है थोड़ी शर्म का चोला तुम भी ओढ़ लिया करो।
तुम्हारा आना उतना कष्टदायी नहीं जितना कष्टदायी तुम्हारी निष्ठुरता है तुम्हारे ख़ुद के इस व्यवहार से हमसे बहुतों की शिकायत हो जाती है ,हम तो जिंदगी है जो सिर्फ़ प्यार ,रिश्ते और ज़ज़्बातों के मोह में इतना फसते जाते है जो तुमको स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है ।
बाकी शिकायतें बहुत है तुमसे लेकिन ठीक है अगर आ ही गयी हो तो चलो ले चलों लेकिन ध्यान रहें हमारे अपने तुम्हारा सम्मान कभी नहीं करेंगे
हमारे अपने सिर्फ़ हमारी ज़िंदगी और ज़ज़्बातों का आदर करेंगे।
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दीपों का त्यौहार आया है, उम्मीदों और भरोसे का त्यौहार आया है।
मर्यादा और संस्कारों को प्रज्वलित रखने का त्यौहार आया है।
त्याग और स्वाभिमान को जिंदा रखने का त्यौहार आया है।
छोटों का बड़ों के प्रति आदर और सम्मान का त्यौहार आया है।
दान और पूण्य की संस्कृति की जीवंतता का त्यौहार आया है।
दीपोत्सव आया है।
दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं।।-
है ! शाम -ए-पहर- तो घबराना नहीं हैं।
यक़ीन मानों अगली सुबह का शंखनाद तुम्हारा होगा।-
अब किस बात की सज़ा होगी
इश्क़ की वो रात शायद वज़ह होगी।
और मोहब्बत की लड़ाई में हमारा वजूद काफिरों का है
मुहतसिब तू दे सज़ा तेरी हर सज़ा हमें मंजूर होगी।
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हम यारी में वफ़ा की पूरी गुंजाइश रखते हैं।
मोहब्बत को तो हमेसा से शिकायत रही हैं ।।।-
रिश्तों की पावन डोर है वो
हर रिश्ते में बड़ी मजबूत है वो।
मुश्किल है कुछ लिख पाना
शब्दों की सीमा के वार है वो।।
बहन है वो।।-