मेरे हिस्से के ख़्वाबों को मेरा,इंतेज़ार बहुत हैपर नींदें बे-ज़ार हैं ये मेरी,जाने क्यूँ आजकल - راہی١٥
मेरे हिस्से के ख़्वाबों को मेरा,इंतेज़ार बहुत हैपर नींदें बे-ज़ार हैं ये मेरी,जाने क्यूँ आजकल
- راہی١٥