राघव प्रताप वैष्णव   (✍️R. K. Mishra✍️)
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Joined 3 November 2020


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Joined 3 November 2020

"जो तुम ना आए तो चांद का दीदार कैसे होगा;
महफिल सुनी है तुम बिन, समां गुलजार कैसे होगा।
प्रेम तो तेरे नाम का पर्याय है कृष्ण;
बिन तुम्हारे जग में प्रेम-प्रतिष्ठान कैसे होगा।।"
-✍️राघव प्रताप 'वैष्णव'✍️

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"मैं वहीं लड़का हूं जिसके लिए हिन्दी राधा और अंग्रेजी रुक्मिणी के समान है।।"
-✍️राघव प्रताप 'वैष्णव'✍️

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🙏🙏 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जी-🙏🙏

"राष्ट्रवादियों के शिरोमणि सरताज हैं दिनकर;
दीन-दु:खियों की प्रबल आवाज हैं दिनकर।
कौन कहता है दिनकर आज प्रासंगिक नहीं;
हिंदी कवियों में शाश्वत जलती मशाल हैं दिनकर।।"
-✍️R. K. Mishra (राघव प्रताप वैष्णव)✍️

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🙏🙏 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जी-🙏🙏

"तेरा बुझ गया चिराग मगर;
फिर भी तू जिंदा रहेगा।
तू आधुनिक हिंदी जगत का दिनकर है;
सदा दिनकर (सूर्य) ही रहेगा।।"
-✍️R. K. Mishra(राघव प्रताप वैष्णव)✍️

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"प्रीत की मीत पर क्यों;
जमाने का पहरा होता है।
एक कहीं दूर रोता है;
दूसरा कहीं व्यथित होता है।।"
-✍️राघव प्रताप वैष्णव✍️

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इस मायावी दुनिया में संबंध ज़रूरत और उससे उपजी उम्मीदों से बंधे होते हैं, जरूरतें संभावनाएं तलाशती हैं और संभावनाएं नए संबंध, संभावनाएं खत्म होते ही संबंध भी खत्म होने लगते हैं..।।

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भारत का है शान तिरंगा,
भारत का है प्राण तिरंगा।
जब तक सांस है झुकने न देंगे,
ये मेरा है स्वाभिमान तिरंगा।।
✍️राघव प्रताप वैष्णव✍️

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"अब ख्वाब-ए-मंजिल की चाह में,
सफर-ए-मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं।
अब किताब-कलम के बीच ही ऐ दोस्त,
हम ये जिंदगी गुजर-बसर कर रहे हैं।।"
-✍️राघव प्रताप वैष्णव✍️

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चंद सफल लोगों से नहीं करनी है तुलना,
क्योंकि हमें भी अपना हुनर मालूम है।।
-✍️राघव प्रताप वैष्णव✍️

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"जो तुम्हारी भावनाओं की कद्र न कर सके,
तुम उसका दामन छोड़ दो।
जो अपना होकर भी अपना हो न सके,
तुम उसका साथ छोड़ दो।।"
-✍️R. K. Mishra(राघव प्रताप वैष्णव)✍️

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