तुम अनुच्छेद में उपज भयभीत हो,
किसी दशा से प्रतीत में व्यतीत हो,
कहीं सम्पूर्ण हो तो कहीं अल्प हो,
इस ब्रह्माण्ड का एकरूप कल्प हो,
संलग्न हो तुम मेरे विचारों में,
जटिल भाव लिए कतारों में,
तुम्हें अनुभव है स्वयं से स्वयं होने का,
मैं अब भी केवल अनुकूल हूं,
मैं अब भी केवल अनुकूल हूं।।
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उन्माद था ये, उन्माद है और उन्माद ही रहेगा,
जो तू खुद को ना बदल सका तो फिर बर्बाद ही रहेगा ।।
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यू भरी दोपहर तो बदली सा मौसम था,
लेकिन शाम होते - होते हर मकाँ जलने सा लगा!
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कभी तुमने बादल को बादल बनते देखा है,
नहीं - तुमने सिर्फ बादल देखा है,
कभी तुमने पागल को पागल बनते देखा है,
नहीं - तुमने तो सिर्फ पागल देखा है ।।
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मैं जो कल था, आज विश्वास किया,
स्वयं का स्वयं से विनाश किया,
मेरे अंदर प्रेरणाओं का आभास किया,
उपेक्षाओं का मैंने उपहास किया,
असहज परिस्थितियों को बर्दाश्त किया,
रहा निरंतर पथ पर विकास किया,
क्षण- क्षण नकारात्मक ऊर्जा को निराश किया,
सकारात्मक विचारों का प्रभास किया,
ये जीवन था मेरा, जीवंत रहा मैं,
हर दिशा हर क्षण मैंने प्रयास किया,
बस प्रयास किया मैंने - प्रयास किया ।।-
उमर की गिनती हाथ न आई
पुरखों ने ये बात बताई
उल्टा कर के देख सके तो
अम्बर भी है गहरी खाई-
क्यों बाँट रहे हो धर्म को इस कदर,
आखिर तुम से समझदार तो मैं भी हूं,
क्यों दिखाते हो अपना ही हक इस देश पर,
आखिर थोड़ा हकदार तो मैं भी हूं,
क्यों छीन रहे हो देश का हर एक पैसा,
आखिर एक और निगाहदर तो मैं भी हूं,
क्या हुआ जो तुम वादों से पलट गए,
आखिर उनका पनहागार तो मैं भी हूं,
क्यों गरीबों का मसीहा बन उनको ही ठग लिया,
आखिर तुम से ज्यादा बफादार तो मैं भी हूं,
क्यों पाल रखा है तुम जैसों को अब तक,
आखिर इसका जवाबदार तो मैं भी हूं,
आखिर तुम से समझदार तो मैं भी हूं,
मैं भी हूं।।
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मैं रोज इधर से गुजरता हूं तो कौन देखता है,
मैं जब इधर से ना गुजरूंगा कौन देखेगा,
~ मजीद अमजद
मैं रोज प्यासा भटकता हूं तो कौन पूछता है,
मैं जब भूख से मर भी जाऊंगा कौन पूछेगा ।।
~ राहुलअजीब
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