हमारे दरम्यां इक ही मस~अला रहा हमेशा,
मुझे जवाब की दरकार थी, और वो कोई जवाबदेही नहीं मानता था।-
शक़्सियत तो हमारी भी ठीक ठाक ही थी,
पर वो क्या है ना, हमारे मुँह में ज़ुबान थी।-
उस वक़्त तो उसे भी कुछ एहसासात रहे होंगे,
सिर्फ़ दिल दुखाने के लिए इतनी अदाकारी क्यूँ करेगा कोई ।
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जब से पता चला है उसको उसकी आवाज़ सुन के ही सुकून की नींद आती है मुझे,
वो कतई खामोश हो गया है।-
शुरुआत से ही जुदा थे हमारे ख़्यालात ,
वो दुनियादारी के लेन देन से ऊपर नहीं सोच पाए कभी,
और हमें ताल्लुक़ात कुछ रूहानी लगे।।-
ख़्वाबों ख्यालों की दुनिया में हम खूब इज़हार ए इश्क़ कर लेते हैं,
ख़ामोशी में ना तो खोने का डर है, ना ठुकराए जाने की ज़िल्लत ll-
ज़िंदगी का त्यौहार हम ऐसे मनाते हैं,
तू ठहरे या चले जाए, रो नहीं पाते हैं।-
भागना ही है ना, तो लड़खड़ाना मत,
गर मैं सम्भल गई, तो तुम्हें नहीं संभालूॅंगी ।-
सुनो, तुम ज़्यादा वक़्त तो नहीं लगाओगे लौटने में,
वो क्या है ना मुझे जल्दी ही आदत पड़ जाती है, अकेले रहने की।-