पुरानी यादों को कुछ इस तरह से सहेजना सीखा है हमनें,
कुछ को पन्नों पर उतरना तो कुछ को दफनाना सीखा है हमनें।-
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Joined 4 October 2018
12 JUL 2020 AT 20:17
10 JUL 2020 AT 20:54
कभी तलब रहती थी इन आँखों को तेरे दीदार की,
अब तो तुझे देख कर अक़्सर ये निगाहें नजरें चुरा लेती है।-
21 JUN 2020 AT 19:26
बाहर बहुत शोर शराबा है,
अंदर पसरा एक सन्नाटा है।
दुनियां की भीड़-भाड़ में यहाँ
हर आदमी अकेला है।-
9 JUN 2020 AT 7:24
सोचा भी नहीं होगा आइने ने
एक ऐसे इंसा से भी उनका वास्ता होगा,
जो जिंदा तो होगा मग़र जिंदा सा लगता नहीं होगा,
लाश सा होगा पर वो मरा भी नहीं होगा।-