तुम्हें खोना, फिर पाना अब एक आदत नहीं रही,
ये हर बार की जुदाई, अब मोहब्बत की शराफ़त बन गई।
पहले लगता था प्यार बस लम्हों की बात है,
अब हर चुप्पी में भी तेरा नाम साथ है।
तेरे जाने से जो ख़ालीपन आया था,
वो तेरा लौटना नहीं , तेरा ठहर जाना चाह रहा था।
अब ना कोई वादा, ना कसमें ज़रूरी हैं,
क्योंकि अब मोहब्बत... क़ायदे से पूरी है।
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गिला नहीं कोई तुमसे, बस खुद से शिकवा है,
तेरे बिना हर ख़ुशी भी, जैसे अधूरा सपना है।
तेरी खामोशी ने मुझसे, सारी बातें कह दीं,
ग़ौर से देखा तो हर चुप्पी में तू ही लिखा है।
गुज़रते लम्हों की रेत पर, तेरा नाम उकेरा,
हवा चली तो लगा, तू पास ही कहीं बहता है।
ना कोई दस्तक, ना साया तेरा, फिर भी अजब हाल है,
हर मोड़ पर, हर सायें में, ग़ोया तू ही खड़ा है।
आँखों में अब अश्क नहीं, बस इक समंदर ठहरा है,
जिसमें हर इक सिसकी ने, तेरे होने को लिखा है।-
कभी मिले थे मगर, कब कहाँ और कैसे,
छुपा है राज़ वो, अब कहाँ और कैसे।
तेरे बिना ये दिल, अधूरा सा लगता है,
मगर तू खो गया, कब कहाँ और कैसे।
वो एक लम्हा था, या कोई सदियों का सफ़र,
वो बीत भी गया, कब कहाँ और कैसे।
सवाल बन गया है, तेरा होना मेरे लिए,
मिला था जो निशाँ, कब कहाँ और कैसे।
ना जाने किस घड़ी, दिल ने तुझे अपना कहा,
हुआ ये इश्क़ भी, कब कहाँ और कैसे।
तेरी यादों का समुंदर है आज भी गहरा,
डूबे हम उस में ही, कब कहाँ और कैसे।-
ख़ुद से भी अनजान जब ज़िंदगी लगने लगे,
बस सब्र कर, तू नहीं हारा वक़्त थका हुआ है।
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रात कहती रही सन्नाटों से बार-बार,
किसी की यादों ने फिर किया मुझे बेकरार।
चाँद चुप था, मगर दिल की सुनता गया,
हर लम्हा बुनता रहा तेरा इंतज़ार।
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कौन कब काम आया है, बस नामों की भीड़ थी ,
हर मुस्कान के पीछे, एक जरूरत छुपी थी।
वक़्त पर जो हाथ थे, आज परछाइयाँ भी नहीं,
रिश्तों की इस दुनिया में, अपनी सच्चाईयाँ भी नहीं।
जिसे अपना समझा था, वही सबसे दूर मिला,
जिनसे उम्मीद न थी, वही थोड़ी सी नूर मिला।
हर कोई कहता रहा हम हैं तुम्हारे साथ,
पर मुड़ कर देखा तो, बस थी ख़ामोश सी बात।
सच पूछो तो ज़िन्दगी ने ही सबसे ज़्यादा सिखाया,
लोग तो बस आये थे, चेहरा दिखा के चला गया साया।
अब तो ये सीखा है ना किसी से आस रखो,
जो भी है, खुद में रखो, खुद पे ही विश्वास रखो।-
प्रेम की लौ में जलते रहे, सपनों की रोशनी साथ थी,
जीवन चलता गया चुपचाप, मगर दिल में एक बात थी।
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