અને મહેનત ને ફળ ની ચિંતા કયાં કરવી પડે છે
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दिल के रिश्ते तो यूँही नीभा ये जाते हैं
ख़ामोश है जुबां न जाने कितने वक़्त से
गुमराह है दिल तेरी यादों के अक्स से
परेशान बहुत है तेरे बेमतलब रशक से
खैर अब इतना ही कह दे,
क्या खता हुई मेरे नादान इश्क से-
बात ये नहीं के हम तुम्हें याद है
पर बन बैठे हम तुम्हारे लिए
सिर्फ एक फरियाद है-
देखें है अपनो में पराये,
परायो में दरिन्दे देखे हैं
बड़ी जालिम है दुनिया की फितरत
शैतानों के हाथ में भी मासुम परिन्दे देखे हैं
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सवालात तो उठे हैं कई पहले भी,
उठेंगे कई बाद भी
अलफ़ाज़ मजबूर है शायद
दबे थे दिल में कल भी,
दबे है कागज में आज भी
समझ में आता ही है कहा
जिदंगी का कोई राज यहाँ
मिटी कई मुहब्बत यहाँ तो
हुए कुरबान मुहब्बत मे
मासुमियत के ताज भी
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अकेले है इस शाम में
ना कोई खवाहिश ना अब कोई और आजमाईश
ये इश्क़ की साजिश है बस मतलब की पेदाईश
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इस मायूसी की आग में ,
आखिर हम कबतक जलते रहेगें
खयालात दिल ही दिल में,
आखिर कबतक पलते रहेगें
मतलबी लोग है चारों तरफ,
बेमतलब ही हम कबतक ढलते रहेगें
कह तो रहे हैं हम की हम साथ है तुम्हारे,
फितरत बडी जालिम है तेरी जानेमन,
ऐसे ही साथ हम कबतक चलते रहेगें-
कहने को तो हर कोई अपना है,
धोखेबाजी तो हर रिश्ते में सहनी है
बड़े चालक है ये जज्बात के सौदागर
दिल है शैतान सा मगर चेहरे पे मासूमियत पहनीं है
कोई करे भी तो आखिर कया करे
ये मजबूरी तो उम्र भर रहनी है
और शिकवा नहीं यहाँ किसी को किसी से
ये बात तो बस कहने भर को ही कहनी है-