ख़ामोश है जुबां न जाने कितने वक़्त से गुमराह है दिल तेरी यादों के अक्स से परेशान बहुत है तेरे बेमतलब रशक से खैर अब इतना ही कह दे, क्या खता हुई मेरे नादान इश्क से
सवालात तो उठे हैं कई पहले भी, उठेंगे कई बाद भी अलफ़ाज़ मजबूर है शायद दबे थे दिल में कल भी, दबे है कागज में आज भी समझ में आता ही है कहा जिदंगी का कोई राज यहाँ मिटी कई मुहब्बत यहाँ तो हुए कुरबान मुहब्बत मे मासुमियत के ताज भी
इस मायूसी की आग में , आखिर हम कबतक जलते रहेगें खयालात दिल ही दिल में, आखिर कबतक पलते रहेगें मतलबी लोग है चारों तरफ, बेमतलब ही हम कबतक ढलते रहेगें कह तो रहे हैं हम की हम साथ है तुम्हारे, फितरत बडी जालिम है तेरी जानेमन, ऐसे ही साथ हम कबतक चलते रहेगें
कहने को तो हर कोई अपना है, धोखेबाजी तो हर रिश्ते में सहनी है बड़े चालक है ये जज्बात के सौदागर दिल है शैतान सा मगर चेहरे पे मासूमियत पहनीं है कोई करे भी तो आखिर कया करे ये मजबूरी तो उम्र भर रहनी है और शिकवा नहीं यहाँ किसी को किसी से ये बात तो बस कहने भर को ही कहनी है
रोक तो रखे है आसूं इन आँखों ने, दर्द का ये खून तो, दिल से बह रहा है उम्मीद लगाए किसी से दिल लगाने की ये गुनाह न करना, दिल बार-बार कह रहा है गलतीयां, वैसे भी बहुत कर चुके हैं जिदंगी मे सजा भी दिल, अब तलक़ सह रहा है खयाल कुछ अजीब सा, दिल में पनप रहा है लगता है दिल अब, जिने की खवाहिश खो रहा है