R.K Khan   (RK KHAN)
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DUA
Joined 8 April 2018


DUA
Joined 8 April 2018
26 JUL 2020 AT 7:58



खुशी हमदम अगर होती मुझे रोने को क्या होता।
उसे गर पा लिया होता तो फिर खोने को क्या होता।

वो मुझसे दूर ना होते मैं उनसे दूर ना होता।
ये अनहोनी नही होती तो फिर होने को क्या होता।

मैं जब जब थक के रुकता हूँ तो कांधे चीख उठते हैं।
ये जीवन बोझ ना होता तो फिर ढोने को क्या होता।

यूं हीं बंजर पड़े रहते तुम्हारे खेत सदियों तक।
मैं मिट्टी में नही मिलता तो फिर बोने को क्या होता।

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21 JUL 2020 AT 10:28

आईने से धूल मिटाने आते है,
कुछ मौसम तो आग लगाने आते है !

नींद तो गोया इन आँखों की दुश्मन है,
मुझ को फिर भी ख्वाब सुहाने आते है!

रोना हँसना हँसना रोना आदत है,
हमको भी कुछ दर्द छुपाने आते है!!

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19 JUL 2020 AT 10:10

दोस्ती रूह में उतरा हुआ मौसम है जनाब !

ताल्लुक कम करने से दोस्ती कम नहीं होती !!

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18 JUL 2020 AT 21:23

बे वजह घर से निकलने की क्या ज़रूरत है !
और मौत से आंखे मिलाने की क्या ज़रूरत है !!
जिंदगी एक नेअमत है उसे संभाल के रख,
कब्रिस्तान सजाने की क्या ज़रूरत है !
सबको मालूम है बाहर की हवा कातिल है !
फिर कातिल से उलझने की क्या ज़रूरत है !!!!

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17 JUL 2020 AT 5:45

उस ने कहा..तेरी आँखें बडी़ कमाल हैं...!

मैंने कहा..इसमें बसने वाला बेमिसाल है...!!

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30 JUN 2020 AT 18:59



चलता हूं यारो कुछ काम करता हूँ....!
खुद को हँसा के अपने गम को गुमनाम करता हूँ .!!

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22 JUN 2020 AT 15:48

इश्क़ उसी से करो
जिसमें खामियां बेशुमार हो
ये खूबियां से भरे चेहरे
इतराते बहुत है !!

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17 JUN 2020 AT 13:32

सुना था क़यामत के दिन,
कोई किसी के नही होंगे,
लेकिन ये सिलसिला तो..
दुनियां में ही हो गया.....!

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12 JUN 2020 AT 11:01

*ये* *जो* *ईटें* *देख* *रहे* *हो*
*ये* *जब* *इमारतों* *में* *लगेंगी*
*कुछ* *मस्जिद* *कहलाएंगी*
*कुछ मंदिर*

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11 JUN 2020 AT 14:37

Rk khan

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