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Joined 26 April 2019


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Joined 26 April 2019

राम कोई व्यक्ति नहीं बल्कि संपूर्ण व्यक्तित्व है ...
राम कोई शब्द नहीं बल्कि परिभाषा है....
राम एक अनुभूति है जो कहा है वो होगा ही.....
राम सुख-समृद्धि, सफलता,आनंद नहीं बल्कि पवित्र अडिग आस्था है ......
राम प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि प्रतिबद्धता है....
राम हर शुभ के मूल में समाए....
राम जो मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए ....
वचन के खातिर जिन्होंने जंगलों की तकलीफें स्वीकारी थी.....
नारी सम्मान के लिए समुद्र से भी ठानी थी....
हां आज राम आएंगे ......
22 जनवरी 2024 को एक ऐतिहासिक पर्व के रूप में मनाएंगे.....
हां आज राम आएंगे वो मन में भी समाएंगे......।।

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31 DEC 2023 AT 20:42

दिल की चाहत हो आप..... कान्हा जी
दिल की विरासत हो आप...कान्हा जी
मेरी इबादत हो आप...... कान्हा जी
आपको नमस्कार से ये पलकें झुक जाती है...
आपके वंदन से ये मस्तिष्क झुक जाता है....
सोचती हूं इस दुनिया से आपको चुरा लूं पर यह मेरे बस में नहीं है......
पर कोई आपको मेरे दिल से चुरा ले यह भी किसी के बस में नहीं.....

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18 DEC 2023 AT 8:48

ख्वाबों की महफिल थी...
पर हसरत नीलाम हो गई..
तूने एक नजर क्या देखा सांवरे
मेरी रूह आपकी गुलाम हो गई..।।

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10 DEC 2023 AT 22:04

रास्ते मे फिर वही पैरों का चक्कर आ गया....।।
जनवरी गुज़रा नहीं था और दिसम्बर आ गया..।।

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14 MAY 2023 AT 18:38

कोई मुझे कहे मां को लिखना है.....🤔
पर क्या लिखूं मां को जो स्वयं मेरी शिल्पकार है...
फिर भी कुछ लफ्ज़ है, कुछ जज्बात है , कुछ दिल के अल्फ़ाज है .....
एक अनसुलझी,अनगढ़ी सीरत को भी जो सूरत देदे वो ऐसे कलाकार हैं .....
जो अंधेरों में भी अंधेरे से पाठ पढ़ा रोशनी की किरण दिखला दे ऐसी समझदार है .....
तुलसी के सामने जलते पवित्र दीपक से जो त्याग का महत्व दिखला दे वो ऐसी रचनाकार है ......
बरगद का पेड़ जो मजबूती से खड़ा है उसकी झुकी टहनियों से सब्र का , झुकने का हुनर सिखला दे, ऐसी शिक्षा की जानकार है.....।।
अपने ही अक्स में मैं मां को निहारती हूं....
मां की महक में अपने वजूद को निखारती हूं....
अक्सर दर्पण मुझे त्याग की कहानी कहता है....
वह मुझे मां को कहता है.....
बहते आंसुओं को हर रुमाल कम पड़ जाए जब मां का पल्लू मिल जाए....
सिर से सारी मुसीबत हट जाए जब मां की दुआ गजब कर जाए....
अरे! खुद खुदा बेरोजगार हो जाए, मेरी किस्मत को देखकर ईर्ष्यालु हो जाए जब बिन मांगे हर मुराद मां से पूरी हो जाए......।।💖🌼💎

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25 AUG 2022 AT 8:25

जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा सीख ही रहे थे....
की जिंदगी की उधेड़बुन मे,जिंदगी की कशमकश में तजुर्बा कच्चा ही रह गया.....।।
अक्सर जिंदगी में जो मिल रहा था.....
सीख कर ही सही पर लौटाना चाहते थे ......
पर सीख ना पाए हम वो फरेब....
हाय ये दिल तो बच्चा ही रह गया...।।
एक वक्त था जब मन चाहा जहां मन चाहा हंस लेते थे जब दिल किया रो लेते थे....
ढ़लते वक्त के साथ कुछ ऐसा हो चला है..... मुस्कुराहट को तमीज चाहिए ....हंसी को वजह और आंसुओं को तन्हाई....।।
हम भी मुस्कुराते थे अपने बेपरवाह अंदाज में ....
ढूंढा है उस मुस्कुराहट को कुछ पुरानी तस्वीरों में...।।
to be continued....


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25 JUN 2022 AT 7:59

मां.... पापा ....
आपकी आंखें मानो जीने का सागर मिल गया है.... आपकी हंसी जिंदगी भर की खुशियां दे गई है .....।।
मां आपने चलना सिखाया तो पापा आपने आसमान मे उड़ना...
मां आपने सपने देखना सिखाया तो पापा ने उन सपनों को पूरा करना.....।।
मां अगर जमीन है तो पापा पूरा का पूरा आसमान हो आप.....
बिना स्वार्थ के भी जो बेहिसाब प्यार करें वो जहान हो आप......।।
क्या कहूं..... कैसे करूँ मैं तारीफ आपकी,
मेरे शब्दों में इतना जोर नहीं
लेकिन फिर भी तमाम रिश्ते हैं दुनिया में ....मां-बाप के रिश्ते जैसा कोई और नहीं....।।
अगर मैं बगिया हूं तो उसके रक्षक हैआप...
अगर मैं जिंदगी हूं तो उसकी सांसे हैं आप .....
अगर मैं मूरत हूं तो शिल्पकार है आप....
अगर मैं मुस्कुराहट हूं तो उसकी वजह हो आप..
खुदा से भी पहले जिसे मानूँ वो हस्ती हो आप.... ।।




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8 JUN 2022 AT 23:55

नजरें झुकी थी एक पल...
दूजे पल नजर उठा कर देखा ...
मैंने उस एक झलक से जिंदगी को देखा....
वो मेरी ही अनकही, अनजानी राहों पर गुनगुना रही थी......।।
अचानक खो सी गई वो....
देखा मैंने उसे इधर उधर बहुत ढूंढा अपने आसपास.....
अचानक देखा कि ऐसी शरारत कर वो मुस्कुरा रही थी....।।
मुझमें और जिंदगी में हमेशा यही जंग रही....
मैं उसके फैसलों से और वो मेरे हौसलों से हर पल दंग रही......।।
क्यों खफ़ा हो चले हैं हम एक दूजे से....
ऐसा वो मुझे समझा रही और मैं उसे समझा रही....।।
मैं .........मैं बन जाना चाहती हूं ....
दूर कहीं घने जंगलों में, पहाड़ों के बीच , हर मंजिलों से, हर रास्तों से दूर एक ठहरा दरिया बन जाना चाहती हूं.....।।
मैंने पूछा जिंदगी से रे कंबख्त जिंदगी तू क्यों इतना सताती है...
प्यार से होले से सिर को सहला कर बोली....
अरे मैं तो तुझे जीना सिखाना चाहती हूं...।।



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पसीने से तरबतर...
कुछ इस तरह दिखाई दी वो मुझे....
त्याग और समर्पण की बूंदे उसके माथे से टपकती दिखाई दी मुझे .....
उसकी आंखों में सिर्फ एक चाहत दिखाई दी मुझे...
वह जो कुछ करती है उसे सराह दे कोई ,ऐसी उम्मीद दिखाई दी मुझे.....
जिम्मेदारियों को उठाते उठाते खुद को भूलती हुई दिखाई दी मुझे.....
मां कभी लाँफिंग बुद्दा,कभी मां दुर्गा, कभी मां अन्नपूर्णा, कभी घरेलू चिकित्सक के रूप मे दिखाई दी मुझे....
हां....मां की अनेक छवि दिखाई दी मुझे...।।

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18 MAR 2022 AT 0:00

चलो...छोड़ देते हैं एक रंग नफरत का...
अपना लेते हैं एक रंग प्यार का ....
छोड़ देते हैं एक रंग हताश का...
अपना लेते हैं एक रंग जुनून का...
छोड़ देते हैं एक रंग बेपरवाही का...
अपना लेते हैं एक रंग अपनेपन का....
छोड़ देते हैं एक रंग दूरियों का....
अपना लेते हैं एक रंग नज़दीकियों का....
छोड़ देते हैं एक रंग दुश्मनी का....
अपना लेते हैं एक रंग दोस्ती का...
छोड़ देते हैं एक रंग जो आंसू को पानी के जैसे समझे.
अपना लेते हैं एक रंग जो आंसुओं की कीमत मोती के जैसे समझे...
चल अब छोड़ ही देते हैं हर एक रंग जो जिंदगी को बेरंग बना दे ....
अपना लेते हैं हर एक वो रंग जो जिंदगी को इंद्रधनुष के जैसा खुबसूरत बनादे...।।



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