तुझे मेरी आदत बनने न दे,
कहीं बिछड़ के टूट न जाऊँ।
मौत का मेरी माहौल बनने न दे,
कहीं ज़िन्दगी से रूठ न जाऊँ-
हिन्दी में लिखने की करता हूँ गुस्ताख़ी....
I'm not an intelligent wri... read more
बातें रोज़ करते हैं,
आदत सी हो गई है।
एक दिन न बतियाएं,
बड़ी मुद्दत सी हो गई है।।-
खिलता हुआ गुलाब हो तुम
जिसे काँटों की कोई फिक्र नही
हर मौसम खिलखिलाती हो तुम
किसी ग़म का चेहरे पर ज़िक्र नही
घर की सबसे नन्ही हो तुम
व्यहवार मगर बड़ों-सा है
'माँ' की भी बन जाती हो माँ
संस्कार मगर जड़ों में है
ग़मों से परे मगर नही हो तुम
हर ग़म से लेकिन लड़ती हो
अपनी प्यारी मुसकान से तुम
हर इक दर्द को जीत जाती हो
रूप से सुन्दर बेहद हो तुम
मन से और भी खूबसूरत हो
लगती वैसे बहुत सख्त हो तुम
सच में कोमल हृदया नारियल-सी हो
मैं बिल्कुल नही जानता, कौन हो तुम
मेरे लिए ईश्वर का दैव्य उपहार हो
सदा मुस्काती रहती, खुशमिजाज़ हो तुम
तुम 'सपना' हो, अनंत आसमान हो...-
It is easy to write about someone unknown
Coz there's no one who'll get offended
But it's hard to write about anyone known
Coz there's a chance of being misunderstood-
कुछ रिश्ते भी नही होते
मगर खास होते हैं।
जो मीलों दूर हैं रहते
फिर भी पास होते हैं।-
यूँ तो कमियां बहुत हैं मुझमे
उन्हें सुधारने की कोशिश
अब मगर शुरू की मैंने
जब तेरी बातें उतरने लगी मुझमे-
दर्द अथाह है और रहेगा हमदम मेरा,
मगर क्या मेरा कभी कभी हंसना है मना??
मान लो, प्यार बन जाये हमदम मेरा,
तो दर्द मेरे साथ रहेगा या हो जाएगा फना??-
कल रात हुई उस बरसात में.....
मैं भीगा नही, मन मेरा भीग गया
शब्द जो जम गए थे मेरे भीतर में
उन शब्दों के बूंदों संग मैं जीत गया-