अजनबी एक राहों में मिलने लगा
दिल की वादी का मौसम बदलने लगा
उसने तो देखकर मुस्कुराया ही था
मेरे सीने में तूफ़ा मचलने लगा
रात भर छत पे तारों से की गुफ़्तगू
चांद तन्हाइयों में उतरने लगा
लगता है अब किसी की अमानत हूँ मैं
इसलिये हर कदम पर सम्हलने लगा
बेख़बर ख़ुद से था प्यार जब से हुआ
सामने आईने के ठहरने लगा
एक पत्थर की तरह था दिल ये मेरा
उसके छूने से ये भी पिघलने लगा-
इक चेहरा याद आने लगा चाँद रात में
जिसने चुरा लिया मेरा दिल चाँद रात में
आवाज़ उसकी करने लगी जादू क्या अजब
लाखों सितार बजने लगे कायनात में
उम्मीद है लगा ले वो सीने से खींच कर
मैं हाथ अपना दे चुका हूं उसके हाथ में
कैसे मैं बदल जाऊं जो मंजिल के पास हूं
बुरे वक्त में वो शख़्स चला साथ साथ में
हर शहर को बहा रहा सैलाब इश्क का
ये रखता भेदभाव नहीं जातपात में-
शोक कम है उसके खुवाहिशें ज्यादा नहीं करती
बाबा की खाली जेब देखकर, ज़िद्द नहीं करती
सुबह से शाम उलझनों में घिरी रहती है बो भी
सबसे मशवरा करती है कभी मना नहीं करती
गर देखो उसमें कोई एब, तो बेशक बता देना
सादगी से सुनती है, कभी शिकवा नहीं करती
अपने हिस्से के सारे ग़म साथ लिए फिरती है
थोड़ा कंजूस सी है इसलिए बापस नहीं करती
खुशनसीबी है हमसाज़, कि वो दोस्त है तुम्हारी
बरना यूं ही किसी से , वो दोस्ती नहीं करती
-hamsaaz-
ये कलम भी उसी की ही भाषा लिखे
छुअन उसके हाथ की ना अब तक गयी,
मैं था उसका उसी का हमेशा रहा
उसकी यादें ज़हन में है ठहरी कहीं,
उसको मिलता यहां पर यकीनन सुकून
थककर बाहों में मेरी गिरी ही नहीं,
कहती बाबा को मुझपर भरोसा बहुत
ये कहानी ख़तम कुछ भी आगे नहीं,
उसके आंसू गिरे मुझसे कहते हुए
मुझको भूलोगे वादा करो तुम अभी,
उसको कैसे बताऊं ये आलम मेरा
ना हूं जिंदा सा मैं और मरा भी नहीं।-
सबकी पहली पसंद हो तुम
हमारी भी हो तो नया क्या हुआ
चलो छोड़ो ये सब बातें
ये बताओ खाना हुआ।
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खुद को इतना काबिल बना लो कि लोग तुमसे हाल पूछे ना की तुम्हारी जात।
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लफ़्ज़ों को देकर आराम, ख़ामोशी को चुनकर देखो
सारे मसले होंगे हल, तुम उसकी भी सुनकर देखो।
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You have shiny eyes and beautiful lips
You have smart brain so we can ask for tips
Your voice is gentle we feel some soothe
You have magical smile it's very smooth
Your nature is pure and heart is kind
When we do mistakes you say nevermind
Whatever we will gain like fame and name
You will be the reason dear 'Ifra ma'am'
- Abhishek-
इतनी कद्र की तो हकदार बो भी है
तुम हो परेशान तो बीमार बो भी है
गर गुरूर में तुम शुमार हो तो क्या
मत भूलो कि समझदार बो भी है
अनोखा है ख़ुद को पाक कहना
पर यकीनन इज्ज़तदार बो भी है
माना, तुम रखते हो चुनावी हक
पर औरों की उम्मीदवार बो भी है
अब पैरों कि जूती नहीं है ' औरत '
रखती खुद पर इफ़्तिख़ार बो भी है
-hamsaaz
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