Queer poetry   (Queer poetry)
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Sans any sanskar
Joined 28 March 2020


Sans any sanskar
Joined 28 March 2020
25 JAN 2022 AT 1:32

क्या मैंने कभी
किसी बात के लिए
तुमसे ना की है?
नहीं ना...
तो रुक जाओ आज
थोड़ी सी तहक़ीक़ात
अब भी बाकी है।

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24 JAN 2022 AT 18:23

The Jailor

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23 JAN 2022 AT 23:20

इश्क को लोगों ने
इतना सस्ता बना दिया,
चार दिन ही गुज़रे थे
उससे मिले मुझे
लेकिन कमसिन से
उस लड़के ने अपने लंड से
मेरी गांड का
गुलदस्ता बना दिया

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23 JAN 2022 AT 22:43

Open Desire

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23 JAN 2022 AT 22:37

Proposal

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23 JAN 2022 AT 21:42

कश्मकश

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23 JAN 2022 AT 20:13

....

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20 NOV 2021 AT 0:48

अपूर्ण

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8 NOV 2021 AT 22:39

देखो क्या छप्पर से दिखता है चाँद
आँख मीचकर?
थे खड़े वहीं, तुम अपने हाथ बाँधकर
चल दिये फिर आप, दीवार फांदकर
रात के इस सफर में
कौन हैं आप?
चांदनी रात, वो अधूरी-सी बात
मेरे हाथ में, आज तेरा हाथ
वो चार लोग
और कितना विवाद !

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29 JUN 2021 AT 19:25

Unrequited

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