तरंग
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Queer poetry
(Queer poetry)
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Sans any sanskar
Joined 28 March 2020
24 APR AT 22:10
Hold me, and then let go.
I'll be through you, before you could
Say or know - I was inside you.-
25 JAN 2022 AT 1:32
क्या मैंने कभी
किसी बात के लिए
तुमसे ना की है?
नहीं ना...
तो रुक जाओ आज
थोड़ी सी तहक़ीक़ात
अब भी बाकी है।-
23 JAN 2022 AT 23:20
इश्क को लोगों ने
इतना सस्ता बना दिया,
चार दिन ही गुज़रे थे
उससे मिले मुझे
लेकिन कमसिन से
उस लड़के ने अपने लंड से
मेरी गांड का
गुलदस्ता बना दिया-