मोहोब्बत ,प्यार ,वफ़ा ये सब मुझे कहा आता है
क्योंकि मेरा किताब ,कापी, कलम से गहरा नाता है
ये जमाना तू कह तुझे बस कहना आता है .........
पर शुक्रिया उस खुदा का की मुझे सहना आता है
तू अपने बनाये मकान में भी खुश नही और
मुझे मकान के वगैर रहना आता है ....
तू तो महान है तेरा इंसानियत से क्या नाता है
ये जमाना तू कह ले तुझे सिर्फ कहना आता है
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Wish me 1 july
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I believe i... read more
जन्नत (मां-बाप)
मा - बाप के चरणों मे जन्नत है
यही मेरी पहली और आखरी मन्नत है
यही मेरी मंदिर ,मस्जिद मेरा गरुद्वारा
क्योंकि जब मुझे दर्द हुआ ,चोट लगी
तो पहले इन्हें पुकारा है ................
दुनिया की कोई दौलत इनसे बड़ी नही
और इनकी दुआ के बगैर कोई हस्ती
खड़ी नही .................................
ये रात की रौशनी दिन का उजाला है
इनके बगैर तो सारा जहा काला है
इन्होंने तो हमे बीज से लेकर पेड़ बनने
तक पाला है और लानत है ऐसे बच्चों
पर जो चंद पल की खुशयों में अपनी वर्षों
की कमाई दौलत को भुला डाला है
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विषय : नाराजगी
मुझे गैरो के संग देख तुम्हारी
नाराजगी जायज थी .............
पर दूर जाने से पहले- बताए तो होते
तुम मेरे हो ये हक हम पर जताए तो होते
और मैं बेशक सब छोड़कर तुम्हारे पास आ जाती
बस एक बार प्यार से अपना कहकर बुलाये तो होते
तुम मेरे हो हमे ये एहसास कराए तो होते-
कोई हमसे हाल पूछे किसी के लिए
हम इतने खास कहा थे ...........
महफ़िल में तो हम भी लोगो के बीच तन्हा
कोई हमे अपनाए किसी के इतने पास कहा थे
कोई हमसे हाल पूछे.......-
विषय : नजरिया
नजर को बदलो नजरिया बदल जायेगा
वीरान पड़ा चमन भी गुलिशता नजर आएग
तू उस सूरज की तपन को मत देख कदम बढ़ा
सूरज भी तुझे चांद नजर आयेगा
और चाहता है तू अपने सपनो का
कल वो तुझे आज नजर आएगा
नजर को बदल नजरिया ..........
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तेरा अहसास काफी है मेरे साथ होने लिए
अब बचा ही क्या तेरे बाद खोने के लिए
और यूँ तो जिंदगी पड़ी है रोने के लिए
पर वक्त बहुत कम है सपने संजोने के लिए
तेरा एहसास ही काफी है ....................
बस यूं ही जिंदगी गुजर जाएगी
क्या पता कब खुद से मुकर जाएगी
गलत को सही सही को गलत कर जाएगी
कोई जीने की चाह में मर जाएगी
पर डर है मरने के बाद तेरे रोने के लिए
तेरा अहसास ही काफी है ..........😢😢
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विषय :इम्तिहान
इन इम्तिहानों से कितना गुजरना पड़ा
कभी किस्मत ,कभी वक्त ,कभी लोग ,कभी हकीम
कभी सरकार सबके अनुसार चलना पड़ा
बदलना नही था पर बदलना पड़ा ...........
इन इम्तिहानों से ......
सपने देखे थे फूलों के वक्त की मार काटों पर
चलना पड़ा ....इन इम्तिहानों से कितना गुजरना पड़ा-
विषय : तेरे ही ख्यालों में
तेरे ही ख्यालों में हर पल खोई हुई मैं
तेरे बिछड़ने के डर से रोई हुई हूँ मैं
और मैं रातों को भी जगती हूँ तेरे इंतजार में
पर सबको लगता है सोई हुई हूँ मैं
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हिम्मत नही की दायरों को तोड़ दूं
फिर चाहे दुनिया छोड़ दू
कभी कभी किस्मत उस मोड़ पर ले आती है
जंहा जिंदगी नही मौत प्यारी लगती है .......
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जो आज तेरा है वो कल मेरा होगा
चारों तरफ तुम जैसों का गेरा होगा
और क्या कहा अवकात नही मेरी
अरे जिस दिन मैंने अवकात बनाई
तेरे घर सिर्फ और सिर्फ अंधेरा होगा...........-