मेरे हिस्से की धूप मुझे भी मिलने दो थोड़ी ।
मुझे भी तो जीने दो बस घड़ी दो घड़ी ॥
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कोई सुने तो मैं भी कहूं कुछ हाल-ए-दिल उनसे ।
पर सुनकर भी अनसुना कर वो कहते है मुझसे ॥
तुम्हें “ कुछ कहने की ज़रूरत नहीं ”...
— “ पवन ”-
कोई सुने तो मैं भी कहूं कुछ हाल-ए-दिल उनसे ।
पर सुनकर भी अनसुना कर वो कहते है मुझसे ॥
तुम्हें “ कुछ कहने की ज़रूरत नहीं ”...
— “ पवन ”-
बड़े मुश्किल से आया हैं एक़ीन मेरे मोहन ।
अब मुझे संभालना बस तेरी जिम्मेदारी है ॥-
तेरे नयनन की कशिश, इस क़दर है मोहन ।
जिसने लड़ाई अखियां, दीवाना हो गया ॥
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रिमझिम बरसती यादें तेरी बारिश के बूंदों सी ।
मेरे रूखेसुखे मन को हैं नव संजीवनी जैसी ॥
— पवन-
शब्दपक्षी झेपावले कल्पनेच्या अक्षरांगणी ।
विस्मित होऊनी बघती सारे चित्रकविता पाहुनी ॥
— पवन-
आठवावे तुला तरी, विसरलोच होतो कधी।
नित्य स्मृती तू माझी, वाहती भावनदी॥
— पवन-
मनमोहन मुखराविंद मनोहर माधवके ।
निहार निहार नटवरको निहाल नयन भये॥
— पवन-