पूर्वी 💕   (RiShu💕)
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Joined 29 May 2019


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Joined 29 May 2019
16 MAY AT 21:41

त्याग दिया है मोह सारा, हर माया से मन छूटा है।
देख के सबके दोहरे चेहरे, मन हद से ज्यादा टूटा है।
पहले सब कुछ अपना था जैसे सब एक सपना था,
देख के सारी दुनियादारी, अब खुद से भी मन रूठा है।

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13 APR AT 15:56

इतना भी ना मगरुर रहो की खुद पर गुरुर हो जाए,
अपनों की घट जाए एहमियत और दोस्ती फिजूल हो जाए।

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13 APR AT 15:38

सब्र...
प्यार करने से लेकर प्यार खोने तक का सफर
साथ हो कर भी दूर होने तक का सफर
हर दिन था तुमसे अब सिर्फ यादों का सफर
जी रही हूं बेसब्री से सब्र करने तक का सफर

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9 DEC 2024 AT 22:10

दिल के किसी कोने में वो याद अब भी बाकी है,
वो ख़्वाब सभी बाकी हैं वो साथ अब भी बाकी है,
कुछ था जो रह गया पर वो बात अब भी बाकी है;
कहने को तो साल बीता पर वो रात अब भी बाकी है।

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9 DEC 2024 AT 21:43

कुछ बिखरे बिखरे ख़्वाब हैं, कुछ हारते जज़्बात हैं,
कुछ टूटी टूटी सांसे हैं, कुछ अनकहे अरमान हैं,
कुछ याद पुरानी बचपन की, कुछ जागती हुई रात है;
कुछ पाना था जो खो दिया, कुछ खुद से ही अनजान हैं।

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8 SEP 2024 AT 20:21

तुम भी लिखो कोई कविता, कोई कहानी, कोई किताब उन पर,
किसी को सुनना, समझना, इतना भी मुश्किल थोड़ी ना है।

सिर्फ महंगे तोहफों से ही क्या इज़हार-ए-मोहब्बत होती है,
दिल की बात दिल से कहना, इतना भी मुश्किल थोड़ी ना है।

माना कि वक्त नही मिलता पल दो पल भी साथ चलने को,
पर दूर रहकर भी साथ निभाना, इतना भी मुश्किल थोड़ी ना है।

झूठ, फरेब, धोखा और मतलबी लोगों से भरी इस दुनिया में,
प्यार, साथ, सम्मान बनाए रखना, इतना भी मुश्किल थोड़ी ना है।

शिकायतें होंगी टकरार होगी कभी बेवजह लड़ाईयां भी होंगी,
पर साथ रहकर ही दूरी मिटाना, इतना भी मुश्किल थोड़ी ना है।

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21 JUN 2024 AT 14:51

ज़िंदगी को समझना है तो खुद से मिलना भी होगा,
सुलझाना है गर खुद को तो खुद से उलझना भी होगा।
कोई अफसोस ना रह जाए इस बात का रखना ध्यान,
खुद के हर ज़ख्म का मरहम खुद से बनना भी होगा।

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27 MAY 2024 AT 21:51

कितना आसान होता है लोगों के लिए शब्दों से मुकर जाना,
दिखावेपन के लिए दिल से खेलना और हद से गुजर जाना;
जिनकी कथनी और करनी में भी बस फर्क रहे हर पल,
कितना आसान होता है लोगों के लिए मुखौटा लगा बदल जाना।

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27 MAY 2024 AT 21:35

ना मोहब्बत का वक़्त मिला ना सोहबत की आशिनाई,
ना कर सके हम वफा, ना की है हमने बेवफाई।

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31 DEC 2023 AT 20:21

जाते हुए इस साल का अब मलाल क्या करे,
फिर से एक और साल का इंतजार क्या करे।

जनवरी से दिसंबर तक ने बहुत दिल दुखाया है,
अब फिर से नई उम्मीदों पर ऐतबार क्या करे।

हर दिन एक पहेली सी उलझी है ये ज़िंदगी भी,
किसी और से अब हम कोई सवाल क्या करे।

आते हुए थोड़ी खुशियां, सुकून, उम्मीद लेते आना,
बीत गया सो बीत गया अब उसकी बात क्या करे।

मनाते हैं जस्न चलो इस नए साल नए लम्हों का,
पर इन झूठे हसीन लम्हों से अब प्यार क्या करे।

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