पूनम हिंगोणेकर   (पूनम हिंगोणेकर)
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In any case, I believe in the word " शुक्रिया..! "
Joined 19 December 2020


In any case, I believe in the word " शुक्रिया..! "
Joined 19 December 2020

किसी ओर से नहीं यूॅं खुद से ही सामना हो।
विघ्न में सुनियोजित अस्तित्व की कामना हो।

बने मीत ख़ुद के जीवन जिंदादिल संगीत हो।
उचित हमारे वजूद की, हमसे ही पालना हो।

जीते या हारे.. सही नजरिए का नज़राना हो।
आत्मोन्नति की चाह कृतार्थ संतत भावना हो।

लड़खड़ाते भी दम हमेशा पग पग सिद्ध हो।
ले चले यूॅं सभी को साथ अंतर्मन चाहना हो।

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अकेले होते भी छोड़ा है न प्रकृति ने साथ।
कदम कदम पर यूं संभाल लेती कायनात।
भूल जाते अक्सर घिरे है खुदा की दुआ से।
याद करते मन से यूॅं ही दुविधा से निजात।

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ख़ुद की नजरों में ख़ुद का अस्तित्व रह गया तग़ाफुल।
हासिल कुछ न होगा अब यूॅं रहकर आजीवन आकुल।

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उदास है ये शाम तुम बिन चाय और हम।
आधे अधूरे तेज़ भी फीके चाय और हम।

तुमसे बातों में रंगत, तुम चाय की संगत।
शाम चौखट पसंदीदा तुम चाय और हम।

सताता है तुम्हारा यूं चाय पर याद करना।
सम्मुख होते तुम्हारे लोलूप चाय और हम।

चाय संग चाह तुम्हारी बढ़ा देती जायका।
नमकीले बिस्किट के प्यासे चाय और हम।

हर हसीं शाम हो चाय संग तुमसे मुलाकात।
ख्वाहिश यहीं चाहत,ताकतें चाय और हम।

प्यार है या सीने में करार सुकून की बरसात।
सुबह हो शाम साथ बरकरार चाय और हम।

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तन से शामवर्ण चाहे काले हो।
मन से उज्ज्वल, दिलवाले हो।

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माणसं ओळखता यावी भेटल्या आयुष्याच्या गावी
स्वओळख निर्माण करावी जगता कर्तव्याच्या गावी

वेगवेगळे अस्तित्व जरी परमेश्वराच्या त्या कलाकृती
वाळीत टाकल्यापरी सोडावे न कुणा निकषाच्या गावी

सारूनी ओळखीचे खुळ माणुसकी हे महत्त्वाचे मूळ
मानव धर्म नी एकता कुळ ठाऊक उत्कर्षाच्या गावी

चुका शोधून कुणाचे भले भलाईत आस परिवर्तनाची
जशी नजर तशी दुनिया गुण दोष मान्य संघर्षाच्या गावी

ओळख ना पाळख जिथे जीवाला जीव देणारी माणसे
आपुलकी भासात प्रेमाचा आभास रहिवासाच्या गावी..

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चाहत का चाॅंद यूॅं ताहयात परवाह से परवान दमकता रहें।
दिल के उपवन मोहब्बत गुलाब, शोभायमान महकता रहें।

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सुबह का सूरज जैसे हर रोज एक नई प्रेरणा।
हर बहाने से निजात जीने की उत्सुक धारणा।

शांत शीतल सुर संगीत रश्मि स्पर्शित वसुंधरा।
तन मन प्रफुल्लित डाल डाल झूमें गुल मुस्करा।

अंधेरे का दामन छोड़ उज्ज्वल उजाले का घेरा।
मन कोश ताजगी प्रवाहित भाए अंतर्मन सवेरा।

सुबह के दरबार सूरज कारोबार हसीं कायनात।
ऊर्जा के स्त्रोत महिमा अपरंपार स्वर्णिम प्रभात।

मन की गिरह आस से पल्लवित, आवृत्त सुबह।
पूर्ण हो सफल उद्देश, निरंतर हर दिल के निग्रह।

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पूर्वा छुट्टी होने की वजह से आज बाजार गई थी। उसने देखा, फुटपाथ पर बैठी इक महिला बहुत ही अच्छी हैंड बैग्स बेच रहीं है। पूर्वा उसके पास गई और दाम पूछने लगी, हाथ से बनाई होने की वजह से वह काफी मंहगी थी।
तभी पूर्वा का ध्यान वहां पर एक छोटा सा बच्चा झूले में झूल रहा था उसपर गई। उसने पूछा कौन है, उस औरत ने चहकते बताया, यह मेरा बेटा है और आज इसका जन्मदिन है।
पूर्वा ने मन ही सोचा आज कल लोग बर्थडे कितने धूमधाम से मनाते है, यह कहा मनाएगी, और बच्चे के हाथ एक नोट थमा दी। उस औरत ने लेने से इंकार किया, तब पूर्वा ने कहा मेरी तरफ से जन्मदिन हेतु यह भेट बच्चे के लिए है।
और आगे चल पड़ी, तभी वह औरत पीछे से एक सुंदर सी बैग लेकर उसके पास आई और कहने लगी, दीदी यह बच्चे की तरफ से आपके लिए ... पूर्वा तो बस देखती ही रह गई... उस औरत की ख्वाहिशें इतनी भी बड़ी नहीं थी जो उसका स्वाभिमान आसानी से उठा न सकें...

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यूॅं तो हमेशा भयानक या जो बात सोचकर ही दिल डर जाता है ऐसी बातों से अक्सर हमें भय लगता है। और उसके अनुसार हमारी जिंदगी में परिवर्तन भी होते रहते है।

एक आदर युक्त भय भी हमारे मन रहता है। जैसे की ईश्वर या माता पिता का या हमारे गुरु का.. और इस भय से हम सही राह पर चलने भी प्रेरित होते है। बहुत गलतियाॅं करने से बच जाते है।

तो हमेशा भय बुरा नहीं होता, सही राह चलने हमें, अभय भी देता है।

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