पूजा मौर्य   (©नाआश्ना)
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Joined 16 May 2020


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Joined 16 May 2020
31 MAY 2021 AT 19:01

वो आए इस तरह की 

कुछ मेरा न रहा ...

ये वक़्त, 

जहां, 

ख़ुदा 

और…..

मैं भी

मेरा न रहा!

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23 DEC 2020 AT 15:00

Maths is not merely a subject
It is the way of life .
It teaches how to solve your problems with patience and get either exact solutions or approximated solutions
With some error calculation.


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17 DEC 2020 AT 19:16

चलो न इक होजाए ,
बस
एक दूजे में खोजाए।
......

ना करेंगे बातें चांद तारों की,
ना ज़िक्र होगा अल्फाजों में,
बस
समझ लेंगे इक दूजे को,
अदने से एहसासों में।
......

चलो न खो जाएं,
सबकी समझ से परे हो जाएं

(पूरा अनुशीर्षक/caption में पढ़े🙏🤓😌)

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14 OCT 2020 AT 13:38

ज़ख्म मत दिखाना कभी ज़माने को,
रहनुमा बनकर लोग चले आते हैं,
इसे छेड़ जाने को!!!!

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6 OCT 2020 AT 15:31

हां मैंने देखा है,
समन्दर को भी प्यासा कई बार देखा है।

पूरी आकाश गंगा साथ है,
फिर भी चांद को तनहा हर बार देखा है।

सितारों को भी चमक खोते देखा है।
आसमां को ज़मीं तलाशते देखा है।

भीगते बारिश में ,
जलता हुआ अफ़ताब देखा है।
.............................
हर ढलती शाम में,
उम्मीदों का दिया देखा है।

काली रातों में भी,
रौशन ये जहां देखा है।

ज़िन्दगी को गुमनाम ,
और मौत को आबाद देखा है।

(पूरा caption में पढ़ें)🙏😃😊

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13 SEP 2020 AT 13:46

नशा तो चढ़ चुका है,
बस थोड़ा बहकना बाकी है।

अभी तो कुछ बूंद ही गिरी है,
पूरी बरसात अभी बाकी है।

अभी तो लाज़ के दो बोल ही खुले हैं,
आफताब का ज़मीं पर उतरना बाकी है।

मुलाकातें तो अक्सर हो ही जाती हैं,
उसका मुझमें होना अभी बाकी है।

अभी ही तो उतरें हैं दरिया ए इश्क़ में,
कश्ती का साहिल तक पहुंचना बाकी है।

(पूरा caption में पढ़े 🙏😀)

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3 SEP 2020 AT 10:54

किसी कि तलाश हर बार अधूरी नहीं होती,
समुंदर से भी सबकी की प्यास पूरी नहीं होती,
अधियारे में चि़राग ही काम आता है,
आफताब से रोशनी हर बार नहीं होती।
ख्वाहिशें कई आती हैं इस दिल में,
पर सभी हक़ीक़त हर बार नहीं होती।
......
(पूरा Caption में पढ़े 🙏😊)

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24 AUG 2020 AT 9:14

जब से चखा है उसके होंठों का ज़ाम,
फिर किसी मय में वो नशा नहीं आया।

उसकी जुल्फ़ों में ही उलझ कर रह गए,
कि हमें , फिर इनसे निकलना नहीं आया।

उसकी कातिल निगाहों से कुछ यूं टकराए ,
कि हमें, फिर खुद से संभलना नहीं आया।

आए तो कई इस दिल के बसेरे तक मगर,
दो पल से ज्यादा कोई टिक नहीं पाया।

जब से चढ़ा है रंग उसके इश्क़ का,
हमें फिर से मुहब्बत करना नहीं आया।

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22 AUG 2020 AT 18:18

गुमशुदा है मेरा दिल एक अरसे से,
कैसे करूं इश्तिहर ?
सुना है उसके घर तो अख़बार भी नहीं आता।

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20 AUG 2020 AT 8:36

जब से चखा है उसके होंठों का ज़ाम,
फिर किसी मय में वो नशा नहीं आया।

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