वो और उस से जुड़ी सब बातें कभी कुछ मेरे बस में नहीं रहा। ना उसका आना रोक पाई थी। ना उसको जाते को रोक पाई थी ना रहा हाथ में की रोक लूँ दिल को उसी से प्रेम करने से।
मेरे जीवन के बोले गए कई झूठों में से सबसे बड़ा झूठ था। जब मैंने तुमसे कहा था। की “मैं नफ़रत करती हूँ तुमसे” और सबसे बड़ी मजबूर मैं तब थी जब मैंने रोक दिया था वो प्रेम जिसकी एकमात्र मंज़िल थी। “ तुम्हारा हृदय “