रामायण में दो व्यक्ति थे, एक कैकई और एक विभीषण।।
विभीषण रावण राज में रहता था, फिर भी नही बिगड़ा था।
कैकयी राम राज मैं रहती थे, फिर भी छल करना नही छोड़ी।।
कहना ये है कि बिगड़ना और सुधरना आपके मन की दशा है।
संगत का असर आपके मन के अनुरूप होता है।
जब तक आप नही चाहते तब तक आपसे कोई
गलत कार्य कराने का प्रयत्न नही कर सकता।।-
जिंदगी के सफर में,
कभी फसाने बन जायेंगे।
कुछ अपने ठिकाने पर होंगे,
कुछ अपने ठिकाने पर लग जायेंगे।
वक्त का पहिया ऐसा ही है,
और यूं ही चलता रहेगा।
कुछ यूं ही अपने साथ रहेंगे,
और कुछ यूं ही बेवजह बिछड़ जायेंगे।।-
ये चांद,
ये देखने में कितना खूबसूरत है।।
पर कमबख्त
किस्मत से ये भी अधूरा है।।-
ज़रा थोड़ा कच्चा सा है ये दिल मेरा
छोटी छोटी बातों को दिल से लगा लेता है
पर कही न कही खुद को संभाल भी लेता है
पर वही बात है, ज़रा कच्चा सा है ये दिल मेरा
ज़रा ज़रा सी बातों में खुशियां भी ढूंढ लेता है।।-
उसने खुलकर कुछ बताया भी नही हमको
धोखा भी बड़ी सावधानी से दिया उन्होंने।-
हमने कब चाहा, अपनी मोहब्बत को को देना
ये तो वक्त का खेल था , तो हो गया हमारे साथ
वरना तुमने कब चाहा, मोहब्बत का पूरा हो जाना-
कि लड़खड़ा जाती है ज़बान,
उस अल्फाज को दोहराते हुए
जिस नाम को जी जाते थे हम,
सिर्फ उस पर गुरूर करते हुए।-
पता नही कब, ये वक्त गुज़र जायेगा
एक बेपरवाह ख्वाइश की तलाश मैं बैठा
हमारा ये दिल, किसी की याद में जल जायेगा
पता नही कब, ये वक्त गुज़र जायेगा
मोहब्बत की तलाश में है बैठा ये दिल
किसी दिन टूटकर बिलकुल चूर हो जायेगा।
पता नही कब, ये वक्त गुज़र जायेगा
जो है अभी हाथों में अपने, वो फिसल जायेगा
बस बैठे इसी इंतजार में हम इस कदर
पता नही कब, बेपरवाह सा वक्त गुज़र जायेगा।-
ये वक्त कुछ न कुछ कह रहा है,तुमने सुना क्या
दिल की धड़कनें कुछ सुना रही है, तुमने सुना क्या
माना दूर है हम एक दूसरे से अभी इस वक्त में
मगर मेरा दिल पुकारता है तुम्हें, तुमने सुना क्या?-
अक्सर हर वो बात कहनी जरूरी है।
जो अक्सर लफ्जों पे रुक जाती है।।
अक्सर हर वो ख्वाब देखना जरूरी है।
जो अक्सर अधूरा ही रह जाता है।।
अक्सर हर वो पल जीना जरूरी है।
जो अक्सर हम कही छोड़ आते है।।
अक्सर हर वो बात कहनी जरूरी है।
जो अक्सर लफ्जों पे ही रुक जाती है।।-