रंग ज़रा सा "सांवला" है उसका,
फिर भी आधा शहर "बावला" है उसका।-
@artist_by_hobby___
"Student"
"Learner"
जंगल झरने नदी समन्दर
तुझसे गुज़रे होंगे कभी
वज़ा तेरी और खुशबू तेरी
इतने हसीं हैं वो तभी-
मुसलसल चोट से तो यहां टूट जातें हैं पत्थर भी
फिर ये तो बस एक दिल है, कब तक सब्र रखता।-
एक तेरे ही दम से चलती हैं ये सासें,
एक तुझको ही देखें बंद होके ये आंखें।
मैं चाहूं की तुझको बस मेरा बना लूं,
फिर चाहे मैं बातें लाख झूठी बना लूं।-
सभी, रिश्तों-नातों-अपनों से वो दूर रखता है,
पेट का चक्कर, कितनों को घर से दूर रखता है।
वो मेरी मां की दुआओं का साया, मेरे सर पर,
मुझको हर नजर बुरी और बद'दुआओं से दूर रखता है।-
इक जंगल का शोर है मुझमें,
है, पूरे श़हर की ख़ामोशी।
पूरे बहर की प्यास भी मुझमें,
है, मुझमें साग़र की मदहोशी।-
मया अतना हे तोर से,
की बयान नई कर सकों।
तोर सिवा कोनों दुसर ला,
दिल के मेहमान नई कर सकों।-
दुनिया से जो परें हैं, जो हरदम मेरे साथ खड़े हैं।
अंदर से वो कोमल से, बाहर से सख्त़ और कड़ें हैं।
वो पिता ही हैं मेरे जो, मुझे काबिल बनाने की ज़िद पे अड़ें हैं।
बेशक हस्तें भी हैं,
मुस्कुरातें भी हैं।
और बड़ी बखूबी से,
दर्द अपना छिपाते भी हैं।
गुस्सा तो खूब दिखाते हैं, डांट भी अक्सर लगाते हैं।
प्यार वो ज़रा मुझसे, अपना कम ही जताते हैं।
बचपन में चलना सिखाते हैं,
होने पे बड़े जिंदगी की गहराईयां समझाते हैं।
फिर ठोकर खाकर गिरने पे,
दोबारा उठ कर चलना भी वही सिखातें हैं।
जैसे मां का प्यार हर पल साए जैसा है,
वैसे ही पिता का कभी धूप तो कभी छाए जैसा है।-