तेरी तस्वीर जब भी मेरे नज़रों के सामने आ जाती है,बेचैनी की लहर आँखों से दिल तक दौड़ जाती है,माना गीले-रुस्वो के सिलसिले हैं,पर जाने क्यों तेरी एक झलक दिल में घर कर जाती हैं||-पुष्पांश उपाध्याय -
तेरी तस्वीर जब भी मेरे नज़रों के सामने आ जाती है,बेचैनी की लहर आँखों से दिल तक दौड़ जाती है,माना गीले-रुस्वो के सिलसिले हैं,पर जाने क्यों तेरी एक झलक दिल में घर कर जाती हैं||-पुष्पांश उपाध्याय
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