PUSHPA SURYAWANSHI   (psuryvanshi)
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Joined 15 June 2020


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Joined 15 June 2020
20 MAR 2023 AT 19:58

#जिंदगी_दो_पल_की #

क्या ठिकाना है जिंदगी का, क्या बहाना है जिंदगी का
ये गुजरता शाम भी क्या तराना है जिंदगी का
ये सुबह जो हुई है, ये दिन जो ढल रही है
मेरी नजरों से देखो तो, पूरा जमाना है जिंदगी का
यही आखिरी है, यही अथाह है
इसके बाद न जाने ये काया कहाँ है
ये वही सच्चाई है जो हम मिटा नहीं सकते
एक विष सद्रीश भय जो हम भुला नहीं सकते
आज अपना है कल गैर कर जायेगा
ये जिंदगी भी न जाने कब बैर कर जायेगा
किसी की इल्तिजा बन जायेगा
किसी से वफ़ा कर जायेगा
है तो जिंदगी बदनाम, क्या पता कब दगा दे जायेगा
ये जो उदित होती किरणें हैं यही तो जन्म है
और जो ढलती रातें है वो तो मौत का फरमान है
इनके बीच जो गुजरा पूरा दिन वो तो बस अभिमान है
जिसे हम जिंदगी कहते हैं, जिसके लिए तड़पते हैं
वो बस छोड़ जाती है बिखरती शाम के साथ
रह जाती है तो बस अंधकार,
अमिट, अडिग, अथाह अंधकार
-psuryvanshi

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26 NOV 2022 AT 15:54

हर बात जुबां पर कहाँ आ पाती हैं
कुछ बातें हैं जो दिल में ही दफन रह जाती हैं
वो बातें जो तुम बरसों से दबाये रखे हो अपने होंठों में
जिसे तुम कहना चाहते हो किसी अपने से
कहकर रोना चाहते हो बिलखना चाहते हो
और चाहते हो कि कोई तो हो जो सुने
तुम्हारे शब्दों को मौन होकर
समझें तुम्हारी खामोशियों में छीपी चीखों को
तुम्हारी आंखों मे कैद अकेलेपन को
मुस्कान में दबी मायूसी को
भौंहों से लिपटी अथाह पीड़ा को
पर अफ़सोस यहाँ तो तुम्हारा अपना कोई है ही नहीं
कभी अपने दोस्तों से पुछ लेते क्या तुम भी उनके दोस्त हो
कभी देख लेते जितनी अहमियत तुमने दी है किसी को
क्या तुम भी उनके लिए उतने ही खास हो
हाँ अगर ये पुछ लेते तो शायद तुम आज अकेले न होते
तुमने खुद को न खोया होता गैरों के पीछे , तुम्हारे पास तुम तो होते
तब तुम्हे किसी और की आदत न होती
तुम स्वयं के लिए पर्याप्त होते
खैर ये बातें जुबां पर कहाँ आ पाती हैं
ये तो बस दिल के किसी कोने में दफन रह जाती हैं
-psuryvanshi

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10 OCT 2022 AT 15:59

तकलीफ होती है
बातों से, मुलाकातों से,
उन अनकहे अलफाजों से
जब कोई पास होकर दूर होता है
चला जाता है ख्यालों से, ख्वाबो से
निकल जाता है दिल से
गिर जाता है नजरों से
पर फिर भी हो जब निगाहों के सामने
तब तकलीफ होती है।।
जब मर रहे होते हैं अहसास
दफन हो रही होती है ख्वाहिशें
जब झकझोर देता है
अपना ही मन
हृदय की अथाह गहराइयों तक
तब तकलीफ होती है।।
तकलीफ होती है,
जब अंतरमन टूट रहा होता है
रास्ते ओझल हो रहे होते हैं
जब कोई न हो मार्ग प्रशस्त करने को
जब हर कोई देखना चाहे
आपको सिर्फ टूटता हुआ
बिखरता है, खाक में मिलता हुआ
जब कोई भी न हो आपको समेटने के लिए
हाँ, तब तकलीफ होती है।।
हृदय रोता है,
एक शिशु की भांति
विलाप करता है!!!
-psuryvanshi

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15 AUG 2022 AT 3:57

स्वतंत्रता सौभाग्य था, विभाजन दुर्भाग्य था
ये कैसी तकदीर हमने पायी है
वीर सपूतों के सीने से चलकर ,ये अमृत आजादी आयी है
लोग बंटे, मजहब बंटा, मजहब के नाम पर देश बंटा
पर एकता न बंटने पायी है
इस क्रुर विभाजन के पीड़ा को सहकर
ये अमृत आजादी आयी है
न भूले हम बलिदानों को, अपने शहीद जवानों को
जिन्होंने गोलियां खाई है
अपने मातृभूमि के असमत के खातिर
अपनी जान गंवायी है
आओ करें हम एक वचन
शीश झुकाकर करें नमन
जान भले ही जाये तो जाये
आन पे आंच न आने पाये
ऐसा मजबूत देश बनाये, कोई न आंख दिखाने पाये
साथ मिलकर जश्न मनाये
उसका जो स्वाधीनता हमने पायी है
वीर सपूतों के सीने से चलकर
ये अमृत आजादी आयी है
-psuryvanshi

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7 AUG 2022 AT 13:05

दोस्ती बेहद खुबसूरत सा शब्द है
समझो तो अथाह, अनंत है,
न समझो तो मात्र प्रपंच ।
संसार का एकमात्र ऐसा रिश्ता है,
जो भेद में नहीं भाव में टिका है।।
कड़वाहट के धूप से दूर,
स्नेह के छांव में पला है।
जो जात ,धर्म ,रंग ,लिंग ,
अमीरी-गरीबी से परे है।।
कभी सागर सा गहरा ,
कभी नदी सा उथला।
कभी बीजली सा चंचल ,
कभी मीनार सा स्थिर।।
कभी लोहे सा मजबूत , कभी लचीली।
कभी सरिये सी सीधी, कभी टेढ़ी।।
कभी एकदम गरमागरम, कभी ठंडी।
कभी बेपनाह खुशनुमा, कभी उदास।।
पर कभी न साथ छोड़ने वाली, हमेशा खास।
ऐसी ही है दोस्ती कभी नीम सी कड़वी,
कभी शहद सी मीठी।।
-psuryvanshi

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13 JUL 2022 AT 16:08

कितना सुकून भरा होता है,
यूंही चलते चले जाना ।
इन अंजान सी राहों में,
हरदम आगे बढ़ते रहना।।
न मंजिल की चाह हो,
न लक्ष्य की ख्वाहिश हो।
बिना किसी अंत के,
मीलों दूर निकल जाना।।
रास्तों से इश्क करना,
नये लोगों से मिलना।
बस निकल पड़ना उन पगडंडियों पर ,
जहाँ सब कुछ नया ।।
न किसी की तलाश हो, न किसी की आस हो।
जो मिल जाए उन पंथ पर ,उन्हें ही अपना मान लेना।
थोड़ा रूककर विश्राम करना,
फिर निकल पड़ना अंजान सफर पर।।
कितना सुकून भरा होता है,
बस यूंही चलते चले जाना।।
psuryvanshi

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25 JUN 2022 AT 22:10

हाँ,
दिल लग गया है अब coffee से
साथ चाय पीने वाले दोस्त...❤
अब मिलतें कहाँ हैं...? 💯

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25 JUN 2022 AT 22:06

न ख्वाब परिंदे हो,
न अश्क समंदर हो।
जब हो सफलता कदमों में,
बस मुस्कुराहटों का मंजर हो।।
psuryvanshi

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25 JUN 2022 AT 21:50

सुबह की मदहोशी में ,
तु धूप सा खिलता चल।
शाम की सरगोशी में,
तु जुगनू सा चमकता चल।।
विपदा आयेंगी हजारों,
तु डटे रहना पर्वत सा।
नागवार इरादों को,
तु बाज सा चीरता चल।।
psuryvanshi

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31 MAY 2022 AT 15:43

#save_hasdev
ये धरती हमारी माता है ये कथन अब सिध्द करके दिखाना है।
अब तो निंद्रा से जागो तुम्हें हसदेव नहीं अपना भविष्य बचाना है।।
क्या लगता है तुम्हें क्या लगा है दाव पे।
क्या तरक्की चाहिए तुम्हें अपनी सांसों के भाव पे।।
क्या रह पावोगे तुम वनो को तरास करके।
अपने पावन छ. ग. के संस्कृति का विनाश करके।।
क्यों इतनी सी बात तुम्हें समझानी पड़ रही है।
यहाँ पेड़ों की संख्या नहीं तुम्हारी जिंदगानी घट रही है।।
ये कैसा विकास है जो इतना बड़ा बलिदान मांग रहा है।
अपनी खुदगर्जी के लिए हमारे आदिवासियों की जान मांग रहा है।।
अपनी लालसा के लिए तुम कब तक प्रकृति बर्बाद करोगे।
किसी और का घर तबाह कर तुम कैसे आबाद रहोगे।।
याद रखना हमेशा ये , तुमने उसे नहीं उसने तुम्हें बनाया है।
ये जो जिन्दगी मिली है तुम्हें ये उसी प्रकृति की माया है।।
समय है अभी सुधर जाओ फालतू का हठ कहाँ टिक पाता है।
जिद्दी बालक को सम्हालना माँ को अच्छे से आता है।।
कट जायेगा जंगल तुम्हारा ही दुर्भाग्य है।
केदारनाथ की आपदा इसका सर्वोत्तम साक्ष्य है।।
अब वक्त आया है आज कुछ करके दिखाना है।
अपने जल जंगल जमीन के लिए मर मिट जाना है।।
ये धरती हमारी माता है ये सिध्द करके दिखाना है।
अपने छ. ग. के ह्रदय स्थल हसदेव को बचाना है।।
-psuryvanshi

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