तुम्हें देख मैं तेरे इश्क़ में यूँ डूब गया कि अपने घर का रस्ता ही भूल गया
बादल भी तुम्हें देख ज़िद पे उतर आया तुम्हारी खूबसूरती देखने वो धरती पे उतर आया-
M.A (History), M.B.A
a successful mother, housewife, love cooking, ... read more
कोरा कागज़ को
कोरा ही रहने दो
कहीं रंग भरने से
मेरे इश्क़ का रंग
ना फ़ीका पड़ जाए-
जो नहीं मिला
उसकी चाहत क्यों करूँ
क्यों उसके पीछे अपना
समय बर्बाद करूँ
भूलकर उसे ज़िंदगी में आगे बढ़ना है
उसके लिए क्यों अपना जीवन बर्बाद करना है-
तिरछी नज़रों से किसको देख रही हो
ख़्वाबों की खूबसूरत परी दिख रही हो
जाने कितनों को, अनजाने ही
पागल, दीवाना बनाती जा रही हो
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एक बार फ़िर से कहो
जो कहा वो सच ही है न
या मेरे कानों को कुछ धोखा हुआ
कैसे अपने प्यार को नफ़रत में बदल दिया
कैसे ख़ुद को बेमुरव्वत बना लिया
कैसे तुम वादे करके मुकर गए
क्यों मुझसे ऐसे मुँह फ़ेर गए
ईमान को कैसे आसानी से बेच दिए
क्यों दौलत के ख़ातिर सब कुछ छोड़
ऐसे आसानी से तुम चल दिए
जैसे मैं तुम्हारे लिए कोई अनजानी थी
मोहब्बत नहीं, दौलत ही तुमको पानी थी
फ़िर यूँ मुँह मोड़ने में भी बहुत आसानी थी
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मौका मिला है जीने का
हँसकर मस्ती में जी ले
कौन क्या, कब, कैसे और क्यों कहा?
ये सोचना छोड़कर खुलकर जी ले
बड़ी ही मुश्किल से ये मानव तन मिला है
बस इस ज़िंदगी का लुफ़्त जी भर के ले ले-
ख़त के ज़माने में सोच भी क्या ख़ूब होती थी
भाषा बड़ी शुद्ध और भावनाएं भी सच होती थी
सीमित वक़्त और जगह में क्या ख़ूब बातें होती थी
बातें कम और समझदारी अधिक हुआ करती थी
कुछ ही शब्दों में दिल की बातें होती थी
तब मोहब्बत भी तो टिकाऊ और सच होती थी-
क्यों महिलाओं को मुफ़्त में बदनाम करते हो
मैंने सिर्फ़ महिलाओं को ही नहीं
पुरुषों को भी त्रिया चरित्र करते देखा है
कुर्सी की ख़ातिर ख़ूब झूठ बोलते देखा है
गिरगिट की तरह हमेशा रंग बदलते देखा है
दफ्तरों में एक-दूसरे के पीठ पीछे शिकायत करते देखा है
औरतों के पहनावा, वेशभूषा पर व्यंग्य कसते देखा है
फ़िर क्यों हमेशा औरतों पर कहावत बनाते हो
जानवर समझकर उसको नीचा दिखाते हो
पुरुष हो या स्त्री सभी का स्वभाव एक ही होता है
ये सब एक स्वाभाविक मानव स्वभाव होता है
जिसकी ज़िम्मेदारी आप सिर्फ़ महिलाओं को नहीं दे सकते हैं
इसीलिए अब कहावतों को बदलने का समय आया है
महिलाओं के साथ हुए अन्याय को
न्याय देने का समय आया है
ये सच है कि
पुरानी कहावतों को हम बदल नहीं सकते है
पर उस पर विराम देने का समय अब आया है-