Pushpa Sharma   (कृति)
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Joined 26 September 2018


Joined 26 September 2018
25 FEB 2023 AT 0:16

तुम नहीं थे
आज सफ़र में एक शख़्स दिखा
जो कुछ -कुछ तुम जैसा था,
एक पल में जैसे तुम सामने आ गए,
वही कद काठी, वही रंग
उसके बालों का स्टाइल भी
कुछ - कुछ तुमसा था,
हाँ पर वो चोटी नहीं थी जिसे
तुम अपनी शान बताते थे,
घंटे भर वो मेरे पास वाली
सीट पर ही बैठा था,
मैं कुछ-कुछ अंतराल के बाद
उसपर एक नज़र डालती और
ख़ुद को इत्मिनान दिलाती
कि वो तुम नही हो,
मन था कि उसे जी भर के देखूं,
क्योंकि उसमें मुझें तुम दिख रहे थे,
मेरी नज़र उसके जूतों पर पड़ी तो
वैसे ही जूते पहने हुए थे
जैसे कि तुम पहना करते थे,
चोर नज़रो से मैं उसे देखने की
अथाह कोशिश में लगी थी,
तभी एक पल के लिए मेरी
आँखें उसकी आँखों से टकराई,
और यकीन हुआ कि वो तुम नहीं थे,
उसकी मंजिल आयी और वो चला गया
अनजाने में मुझें तुम्हारी याद का तोहफ़ा देकर।

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6 DEC 2022 AT 18:00


छोटी सी इस उम्र में तज़ुर्बे बड़े हैं,
हम जो सबके साथ खड़े रहते थे उनकी मुश्किलों में,
जब ख़ुद मुश्क़िल में आये तो अकेले खड़े हैं।

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16 NOV 2022 AT 22:56

वक़्त-बेवक़्त पास आ जातीं हैं यादें,
कितने खोखले होते हैं ये ज़मीनी वादें।

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5 NOV 2022 AT 23:27

जहाँ भी जाती हूँ तुम्हें साथ लिये आती हूँ,
तुम बिन ज़िन्दगी तो क्या एक पल भी न रह पाती हूँ।

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21 AUG 2022 AT 12:18

बातों-बातों में प्रिय तुम,सब कुछ जाते भूल।
क्या बारिश की बूंदे, क्या आँधी की धूल।।

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7 AUG 2022 AT 23:03

हर मुश्क़िल आसान हो जाती है,
जब दोस्तों के सोल्युशन की लिस्ट आती है,
आड़े-टेढ़े सोल्युशन सुनकर,
मुश्क़िल भी
अपना सिर पकड़कर बैठ जाती है,
थोड़ा सताती है पर ख़ुद का मज़ाक
सह नहीं पाती है और
मुँह फेरकर उल्टे पाँव लौट ही जाती है।

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6 AUG 2022 AT 23:49

स्वार्थ सिद्धि के लिए किया गया प्रेम भी
पाप की श्रेणी में ही आता है।

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15 JUL 2022 AT 13:00

ख़ामोशी पहन लेती हैं आँखे,
बग़ावत करती हैं आँखे,
थक जाती हैं इंतज़ार में तो,
बरस पड़ती हैं आँखे।

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15 JUL 2022 AT 12:32

छोटी-मोटी चोट लगनी भी ज़रूरी है,
आख़िर कोई बहाना तो चाहिए न
छिपे ज़ख़्मो पर रोने के लिए।

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13 JUL 2022 AT 11:51

ज़र्रे-ज़र्रे ने सिखाया है मुझें जीने का हुनर,
गुरू का शुक्रिया तो बारम्बार करती हूँ,
लेकिन दिल कहता है कि दुश्मनों की
सीख भी तू ज़ाया न कर।

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