तेरे हर सवाल का जवाब लिखा है...
मैंने इश्क के फूलो में तुझे गुलाब लिखा है...
खुदा कसम तेरी यादें बहुत खूबसूरत है...
पर मेरी काँपती हाथों ने तुझे खराब लिखा है...-
बता देना दुनिया को की मैं मतलबी बड़ा था...
हर बड़े मुकाम की राह पर तन्हा ही चला था...
अच्छा ना सही पर मेरा बुरा बताओगी...
पर तय है की मेरे गुज़रने पर मेरी दास्ताँ सुनाओगी...-
सितम ढाते हुए सोचा करोगे...
मेरे साथ तुम ऐसे करोगे...
अंगूठी तो लौटा रहे हो...
अंगूठी के निसान का क्या करोगे...-
तेरे बदलते मिजाज़ बता गया कोई...
तेरी जुल्फे सवारने का अंदाज़ बता गया कोई...
हमें लगा था तेरी मखमली होटों पे हक सिर्फ हमारा है...
पर आज तेरी लिपस्टिक का स्वाद बता गया कोई...-
गुज़र रही है ज़िन्दगी एक ऐसे मुकाम से...
अपने ही बिछर गए ज़रा सी जुकाम से...-
पर हाथों से कहना आता है
भूलो मत मैं भी इंसान हूँ
मुझे भी सिर्फ एक हद तक सहना आता है-
बहुत सताता है
आज कल ज़मीन पे रहने वालों का घमंड...
बस इसलिए चल पड़े है
आँखों में पट्टी बाँध कर आसमां के संग...-
कब तलक मुझे रौशनी कर सकेगी...
तेरे जाने का अन्धकार
किसी दिन मेरी बची साँसों को भी ले उरेगी....-
कितने सारे नाम लिखूं....
साला हर नज़र में तो हो जाता है...
एक काम करो आइना लिख दो...
सबसे करीब तो मुझे वो ही नज़र आता है...-
उन्हें आज दूर ही रहने दो...
हमें फर्क नही है, आज ये समझाना जरूरी है..
और हमारे में भी स्वाभिमान है ये बताना जरूरी है...-