Pushp Dev  
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खुद की तलाश में भटकता राहगीर
Joined 1 September 2017


खुद की तलाश में भटकता राहगीर
Joined 1 September 2017
14 MAR 2023 AT 0:18

कुछ भीड़ में बीती ,
तो कुछ अकेले में निकाल दी ,
जिंदगी सिगरेट सी थी ,
हमने धुँए में निकाल दी ,
बहरी भीड़ आयी एक ,
ओर चीखने में कई रातें निकाल दी ,
जो बचे कुछ वो आखिर में बोले ,
देखो बनी बनाई सारी बात ,
कैसे एक लड़की ने बिगाड़ दी ।।

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3 SEP 2022 AT 0:13

मैं फिर एक रोज़ नयी एक बात लिखूँगा ,

जो बहक गया अगर उस रोज तो दिन को रात लिखूँगा ,

पहाड़ की चोटी को देख तमाम जज्बात लिखूँगा ,

हालात जो अब बद से बदतर हैं उनपर इंकलाब लिखूँगा ,

पुरानी किताबें फाड़ कर नये हर एक पाठ लिखूँगा ,

धूल हटा कर चेहरे से कुछ नया अबके कुछ साफ़ लिखूँगा ।।

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28 MAY 2022 AT 23:13

बहुत सी औरतें चाहती हैं ,
उनके बच्चे अपने बाप से ना बने ,
वो सिर्फ़ इंसान बने ,
भगवान से ना बने ,

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6 MAY 2022 AT 22:09

तुम अब इश्क़ पर नहीं लिखते ,
तुम अब कुछ क्यों नहीं लिखते ?
इज़हार पहचान थी तुम्हारी ,
तरीका निराला था सबसे ,
मगर ये बताओ पहले ,
तुम अब मुझ पर क्यों नहीं लिखते ?

ना कोई मेल अब लिखते ,
ना कलम किसी कागज़ पर घिसते ,
माना मैसेज का जवाब देते हो तुरंत ,
मगर ये तो बताओ ,
तुम अब मुझ पर कुछ क्यों नहीं लिखते ?

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22 MAR 2022 AT 1:31

रात ढ़लने को आयी मगर ख़्वाब आँखों पर डटे रहे ,
मैं आज़ रात फिर ना सोया खुद को इतना बेबस देख ।।

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27 DEC 2021 AT 0:42

देर रात तक जागा तमाम रातों के बाद ,
आज़ की रात बहुत लंबी हैं कई रातों के बाद ।।

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14 NOV 2021 AT 21:28

दिन भर काम करता शाम को इंतजार करता हूँ ,
एक साँवली सी लड़की हैं जिसे मैं बहुत प्यार करता हूँ ।।
कभी लड़ता हूँ कभी इकरार करता हूँ ,
बेवकूफ हैं थोड़ी माना मगर मैं प्यार करता हूँ ।।

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10 JUL 2021 AT 9:58

आज़ फ़िर मैं वक़्त पर ऑफिस आ गया ,
आज़ फ़िर आते आते निढ़ाल पड़े शरीर और मन को साथ ले आया ।

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21 MAY 2021 AT 2:29

फ़िक्र हैं मेरी वक़्त रहते जताने आ ,
जो मुझसे बतलाना हैं देर रात तो बस मुझसे ही बतलाने आ ।।

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21 MAY 2021 AT 2:28

फ़िक्र हैं मेरी वक़्त रहते जताने आ ,
जो मुझसे बतलाना हैं देर रात तो बस मुझसे ही बतलाने आ ।।

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