Pushkar Pandey  
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Joined 8 November 2018


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Joined 8 November 2018
15 APR AT 23:57

दर्द की सारी हदों को पार कर आया हु मै
मुझ पर तू रख भरोसा मै हु तेरा अपना , नहीं कोई पराया हूं मै।
माना कि नहीं आना होता है
तेरी गलियों में अब,
पर कौन तुझे समझाए कि
तेरे ही लिए तो इस दुनिया में आया हूं मै।।

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8 JAN 2024 AT 21:47

दिल टूटना बिखरना
पर किसी को इल्जाम न देना
करना है इश्क तो सबसे करो
लेकिन फिर उन्हे रिश्तों का नाम न देना

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11 DEC 2023 AT 22:37

दर्दे मोहब्बत की बाते तुम कहा समझ पाओगे
तुम्हारा क्या है आज इसके साथ कल उसके साथ परसो किसी और के हो जाओगे।
तोड़ कर दिल मेरा आज मुस्करा लो
किसी रोज टूटेगा दिल तुम्हारा भी
तब मुझे सोचकर बहुत पछताओगे।
समझ नही है अभी मोहब्बत की तुमको
की दिल एक आईना है
देखो कभी तुम भी खुद को आईने में
तुम क्या हो खुद ही समझ जाओगे।
मुझे हमदर्दी की अब जरूरत नहीं
दर्द से ही दोस्ती कर ली है मैने
तुम भी बटोर लो खुशियां जहान की
पर ऐ दोस्त मेरे बगैर खुद को ग़म-ज़दा पाओगे।।

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11 DEC 2023 AT 19:25

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19 NOV 2023 AT 4:28

कि मुझ पर शक न कर ऐ दोस्त
मैं तो वक्त का मारा हूं
कैसे खुद को साबित कर दु मैं
कि मैं तुम्हारा हूं ।।
जो कुछ भी लेना है
तुम वो हर इम्तेहान ले लो
बस इतना ही रहम कर दो की
मेरे जज्बातों से न खेलो
माना की गर्दिश में हूं
अभी चमक नही तो क्या
पर आसमान का तारा हूं
मैं तो वक्त का मारा हूं
कैसे खुद को साबित कर दु
कि मैं तुम्हारा हूं।।

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22 JUN 2023 AT 23:56

हालात मेरे बदले है
और तुम भी बदल गए।।

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9 JUN 2023 AT 0:26

एक दफा नहीं सौ दफा मिलूंगा मैं तुझको तेरे वास्ते
तो क्या हुआ जो अलग हो गए अब हमारे रास्ते
बहुत कुछ पाना है तुमको तो हम जैसे छूटेंगे ही हर रास्ते
मिल जाएगा जो कुछ भी तू चाहे
पर मिले मुझको जो मैं चाहूं , ऐसा कुछ बचा नही है अब मेरे वास्ते।

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25 APR 2023 AT 1:13

अपनी आदतों से कहा बाज आते हो तुम
वादा कर के हर रोज बदल जाते हो तुम

सुबह करते हो वादा मिलने का शाम को
और शाम होने से पहले ही मुकर जाते हो तुम

गले मिलना हम से कभी सुकून था तुम्हारा
और अब कहते हो हमे की गले पड़ जाते हो तुम

जिंदगी में हारकर मर जाना कौन सी नई बात है
मन ही मन सोचते है वो की जिंदगी से हार कर भी कैसे जिंदा रह जाते हो तुम

निकाल कर दे दिए बाग के गुलाब सभी उसको
और उसको हैरत है की कांटो के साथ कैसे रह जाते हो तुम

रिश्तों की परवाह कोई करे भी तो कैसे पुष्कर
जब सच उनको सुनना भी नही है
कैसे कहते हो की सभी अपने है
मुझको हैरत है की इन गलतफहमियों में कैसे रह जाते हो तुम

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24 APR 2023 AT 22:40

किससे करू बात दिल के मैं अपनी
जिससे भी करता हूं
वो मतलब अपना निकालता है।।

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2 FEB 2023 AT 0:35

हम अपनो से इतना क्यूं कतराने लगे है
जो आपस में करनी है बात, वो स्टेटस पर लगाने लगे है।।

हर बात का पता है दुनियां को लेकिन
बस वही बात अपनो से क्यूं छुपाने लगे है।।

रिश्तों की जबान से आज हर दिल है ज़ख्मी
जो बातें पसंद नही है खुद को, हम भी तो वही दुहराने लगे है।।

असली और नक़ली में फर्क क्या है पता ही नही
बाग के फूल छोड़कर कागज के फूलों से दिल बहलाने लगे है।।

घर अब घर रहा ही कहां है पुष्कर
एक ही घर में रह कर भी पता अपने फ्लोर का बताने लगे है।।

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