सियासत की डगर में सब को सब कुछ सहन है
ये जहां डूबा है नशे में कितने विकारों का गहन है
होलिका तो जल रही पर प्रहलाद आग में झुलस रहे
राजा का शौक बरकरार रहे खैर आज होलिका दहन है-
very cool ,open minded
A good listener & observer
Wish me on 17 july 🎂 read more
इक बार फिर हुनर से भरा बाग छट गया
इक बढ़ता हुआ पौधा फिर से कट गया
जैसे तुम गए ऐसे भी कोई जाता है क्या
आज फिर इस देश का इक हुनर घट गया-
सुनता रहूं या ख़ामोश हो जाऊं कि तेरी इन बातों में खो जाऊं
हर लम्हे में तेरे संग हो जाऊं कि तेरी रूह के हर रंग में खो जाऊं
अब मेरे नाम से तुम्हें पहचान मिले कि अब तेरे नाम का हो जाऊं
कि मैं तेरा हो जाऊं तुम मेरी पूरी हो जाओ इसी ख़ुशी में रो जाऊं
ये लम्हा कभी खत्म न हो बस इसी लम्हों में कुछ ऐसा खो जाऊँ
ये चाहत है कि तेरी चाहत की छांव में बिस्तर डाल के सो जाऊं-
उनके इश्क़ का दरिया ही क्या जो
मेरे एहसास को ही न समझ सका,
हमने तो अपने इस नादाँ दिल मे
इश्क़ का इक समुंदर बसाया था...-
यूं अपनी नज़रो से हर रोज न जाने कितने बवाल करते हो
बातें तो बहुत करते हो पर न जाने कितने सवाल करते हो
तेरी चाहत में चाहत की आग़ोश में यू दर बदर फिरता रहता हूँ
तुम हमसे नज़रे मिलाकर यूँ मेरी धड़कनों का इस्तेमाल करते हो
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यूं कुछ वादे पूरे हुए पर कुछ निभाने अभी बाकी है
वो खुशनसीबी ही क्या जिनके हांथो में इक राखी है
माना कि रिश्तों की बागडोर में सब के अपने फ़र्ज हैं
हो साथ भाई का तो फ़िर वर्दी क्या हर रंग ख़ाकी है
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वो सफर भी क्या हसीन था...
यू हर तऱफ का मौसम रंगीन था
जिस सफर में हमसफ़र साथ मे था
और उसका हाँथ मेरे हाँथ में था-
हर बार वक़्त को दोषी मत ठहराया कर ऐ ज़िन्दगी
क़ाबलियत कभी भी अच्छे वक़्त की मोहताज़ नही होती...-
आईना ख़ुद ब ख़ुद
धुंधला सा होता जा रहा है,
शायद कुछ हक़ीक़तों
से रुबरु होने लगे हैं हम....-