17 FEB AT 1:10

आज दिन है नया नया!

आज दिन में कुछ बात है, सुन्दर लग रहे हलात है,
धूप खिली खिली सी, जैसे सर्दी खत्म आ रही हलकी गर्मी सी,
पर तुम शांत हो क्यों बैठे, बिलकुल एकान्त में हो क्यों रूठें,
पलके है नम सी, हल्के भीगे नैन में उतरे गम सी,
कुछ दुख हमने दिया, बहुत कुछ तुमने सोच लिया,
पर वो हसीं क्यों छुपा रखी है, मेरी आशा की रौशनी क्यों दबा रखी है,
कुछ कहने का शायद तुम्हारा मन नहीं, इसलिए शांत बैठे हो कहीं,
कुछ बोल दो, तो हम मोल दें, तुम्हारी बातो को तोल दें,
वजन कितना यह दिखा दें, आसमान को ज़मीन से एक कथन में मिला दें,
आंखें नम होकर, दिल का राज खोल दें, कुछ अनकही बातें बोल दें,
हम सहारा दें सकते है, पर लड़ाई तो आपको खुद से लड़नी होगी,
वो दुखी मन की बेचैनी खुद ही शांत करनी होगी,
दिन को देखो जो है नया नया, सोचो कितनी किस्मत से है यह सब मिला मिला,
आपको मुस्कुराने के कारण हम देंगे, फिर आपि ही का उदहारण हम देंगे,
यह जो ख़ुशी का हमें है इंतजार, आयी नहीं फिर भी कर रहे इजहार,
आएगी जो आपकी हसीं से बहार, करेंगे उस ख़ुशी से हम प्यार !

- Pushkal Singh